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चेक बाउंस मामले में आरोपी की 9 महीने की सजा को सेशन कोर्ट ने रखा बरकरार, आरोपी को भरना होगा ₹21.50 लाख का हर्जाना - मंडी चेक बाउंस मामले में सजा

Mandi Cheque Bounce Case: मंडी में चेक बाउंस मामले में आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसे सेशन कोर्ट ने भी कायम रखा है. अब मामले में आरोपी को 9 महीने की सजा काटनी होगी. वहीं, 21 लाख 50 हजार हर्जाना भी भरना होगा. पढ़ें पूरी खबर..

Session Court On Mandi Cheque Bounce Case
मंडी चेक बाउंस मामले में निचली अदालत का फैसला बरकरार

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 7, 2023, 9:19 PM IST

मंडी:हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में चेक बाउंस मामले में निचली अदालत का फैसला सेशन कोर्ट ने भी बरकरार रखा है. दरअसल, सेशन जज मंडी राजेश तोमर की अदालत ने चेक बाउंस मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. मामले में सेशन कोर्ट ने आरोपी को दी गई 9 महीने की कैद और 21 लाख 50 हजार रुपये हर्जाना भरने की सजा को बरकरार रखा है. बता दें कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मंडी शाखा ने अपने वकील महेश चोपड़ा के माध्यम से मंडी जिले के राम सिंह के खिलाफ चेक बाउंस का मामला दायर किया था.

इस मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट नंबर एक मंडी ने की थी. कोर्ट ने 28 अप्रैल 2023 और 9 मई 2023 को सुनाए गए फैसले में राम सिंह को यह सजा सुनाई थी. वहीं, राम सिंह ने इस सजा के खिलाफ सेशन जज की अदालत में अपील की थी. इस अपील को खारिज करते हुए सेशन कोर्ट ने राम सिंह की सजा को बरकरार रखा और उसे ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने के आदेश दिए.

जानकारी के अनुसार, यूनियन बैंक ने अपने वकील महेश चोपड़ा ने अदालत में शिकायत दर्ज करवाया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि आरोपी से बैंक को 13 लाख रुपये लेने थे. इसके बदले में आरोपी ने जो चेक 22 दिसंबर 2014 को जारी किया. वह उसके बैंक खाते में जरूरी राशि न होने से बाउंस हो गया. इस पर उसे इस पैसे को अदा करने के लिए कहा गया. आरोपी को नोटिस भी दिया गया, लेकिन जब उसने कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो मामले को अदालत में लाया गया. महेश चोपड़ा ने बैंक की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर निचली अदालत ने राम सिंह को 9 महीने की कैद और 21 लाख 50 हजार रुपये हर्जाना देने के आदेश दिए. यह निर्णय सेशन अदालत में भी बरकरार रखा.

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