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पहले परिवार ने फैसला लिया तो अंजाम भुगता, अब जनता करेगी हमारा फैसला: अनिल शर्मा - Ashraya Sharma

मंडी सदर से विधायक अनिल शर्मा ने लंबे वक्त के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है. मीडिया से बात करते हुए अनिल शर्मा का दर्द जुबां पर आ गया. मंडी में मंत्री से लेकर सांसद तक ने मेरा मजाक उड़ाया जबकि मैं पार्टी के विधायक के रूप में उस कार्यक्रम में पहुंचा था. जिस जनता ने मुझे चुना था उसके सामने ही मुझे जलील किया गया.

Mandi Sadar MLA Anil Sharma
अनिल शर्मा.

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Published : Oct 23, 2020, 10:42 AM IST

मंडी: पूर्व मंत्री और मंडी सदर से विधायक अनिल शर्मा ने लंबे वक्त के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है. गुरुवार को मंडी में मीडिया से बात करते हुए अनिल शर्मा का दर्द जुबां पर आ गया. इस दौरान पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान लिए गए परिवार के फैसले से लेकर अपने सियासी भविष्य तक अनिल शर्मा ने अपनी बात रखी. इसके अलावा अनिल शर्मा ने जयराम सरकार पर भी निशाना साधा.

'परिवार का फैसला था अंजाम भुगतना पड़ा'

अनिल शर्मा ने कहा कि मंडी में मेरी जनता के बीच मंच पर मेरा मजाक उड़ाया गया. मंत्री से लेकर सांसद तक ने मेरा मजाक उड़ाया जबकि मैं पार्टी के विधायक के रूप में उस कार्यक्रम में पहुंचा था. जिस जनता ने मुझे चुना था उसके सामने ही मुझे जलील किया गया.

अनिल शर्मा ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान फैसला परिवार ने लिया था जिसका अंजाम भुगतना पड़ा लेकिन हमारे परिवार की आगे की राजनीति का फैसला जनता का होगा. जनता तय करेगी कि हम राजनीति में रहें या नहीं और अगर राजनीति में रहें तो किस ओर जाएं.

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'उस फैसले से मेरा लेना-देना नहीं था'

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान परिवार के फैसले को लेकर अनिल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस में जाने का फैसला बेटे का था उससे मेरा कोई लेना देना नहीं था. गौरतलब है कि अनिल शर्मा पूर्व की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री थे लेकिन 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से ऐन पहले अनिल शर्मा ने बीजेपी का दामन थाम लिया. 2019 में जब लोकसभा चुनाव आए तो अनिल शर्मा के पिता पंडित सुखराम और बेटे आश्रय शर्मा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया जिसके बाद कांग्रेस ने आश्रय शर्मा को मंडी लोकसभा सीट से टिकट दिया था. उस वक्त खुद बीजेपी सरकार में मंत्री रहते हुए बेटे के कांग्रेस उम्मीदवार होने को लेकर अनिल शर्मा अपनी पार्टी के निशाने पर आ गए थे. चुनावी नतीजों में आश्रय शर्मा की हार हुई और फिर अनिल शर्मा को भी मंत्री पद छोड़ना पड़ा.

अनिल शर्मा ने कहा कि मैंने कभी भी पार्टी का विरोध नहीं किया. 2019 लोकसभा चुनाव में लिया गया फैसला परिवार का था, बेटा चुनाव लड़ रहा था इसलिये पिता होने के नाते मुझे उसके फैसले के साथ चलना था. अनिल शर्मा ने कहा कि उस वक्त भी मैंने पार्टी का विरोध नहीं किया इसलिये चुनाव के दौरान में घर पर ही था लेकिन उस फैसले का असर मेरे क्षेत्र की जनता पर पड़ रहा है इसलिये मुझे ये बात उठानी पड़ी.

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'अलग पहचान बनाएं मुख्यमंत्री'

विधायक अनिल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान मैंने मंडी में कई विकास कार्य करवाए जबकि तब मंडी से मुख्यमंत्री नहीं था. अनिल शर्मा ने कहा कि मेरा मकसद सिर्फ मुख्यमंत्री का विरोध करना नहीं है मैं चाहता हूं कि जब मंडी जिले से मुख्यमंत्री बने हैं तो उन्हें एक अलग पहचान बनानी चाहिए. मंडी के विकास कार्य करवाने चाहिए ताकि उनकी एक अलग पहचान बने और लोग उन्हें हमेशा याद रखे.

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'नहीं हो रहे मंडी के काम'

अनिल शर्मा ने जयराम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब से मैंने मंत्री पद छोड़ा है तब से मंडी की अनदेखी हो रही है क्योंकि मैं यहां का विधायक हूं. अनिल शर्मा ने कहा कि सरकार ने मंडी की जनता से बड़े-बड़े वादे किए गए थे और मुझे आश्वस्त किया गया था कि विकास कार्य होंगे लेकिन करीब 2 साल बाद भी कुछ नहीं हुआ तो मुझे ये बोलना पड़ रहा है.

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