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जाइका ने दिखाई राह, स्वरोजगार की ओर बढ़े कठोगण वासियों के कदम, आर्थिकी भी हुई मजबूत - mandi news

मंडी जिले में जाइका परियोजना के तहत ग्रामीण महिलाओं के लिए स्वरोजगार और कमाई के नए दरवाजे खोल दिए हैं. बता दें कि जाइका प्रोजेक्ट सरकाघाट में 2018 को शुरू हुआ और इसमें साल 2020 से कार्य शुरू हुआ. इसमें मुख्यतः 7 वीएफडीएस बनाए, जिनमें 14 स्वयं सहायता समूह बने हैं. जिससे महिलाओं की आर्थिकी भी मजबूत हो रही है. पढ़ें पूरी खबर..

MANDI JICA PROJECT
मंडी में लोगों को जाइका ने दिखाई राह

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 31, 2023, 6:52 PM IST

Updated : Dec 31, 2023, 7:57 PM IST

मंडी:हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) ने लोगों को स्वरोजगार की ओर राह दिखाई है. हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार परियोजना के तहत प्रदेश के 7 जिलों में 460 ग्राम स्तर पर वन विकास समितियां और 900 से ज्यादा स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं. जिसके अन्तर्गत लोगों की आर्थिकी में सुधार के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लगभग 24 आय सृजन गतिविधियां कार्यशील हैं. जिनमें मुख्यतः मशरूम उत्पादन, हथकरघा, चीड़ की पत्तियों से बने सजावटी सामान सीरा सेपू बड़ी, टौर की पतले बनाना इत्यादि हैं. जाइका प्रोजेक्ट सरकाघाट में 2018 को शुरू हुआ और इसमें साल 2020 से कार्य शुरू हुआ. इसमें मुख्यतः 7 वीएफडीएस बनाए, जिनमें 14 स्वयं सहायता समूह बने हैं.

परियोजना से लाभान्वित ऐसा ही एक गांव सरकाघाट उपमंडल की भदरौता क्षेत्र की ग्राम पंचायत टिक्कर का कठोगण है. जहां परियोजना के तहत गठित ग्रामीण वन विकास समिति के अध्यक्ष पवन ठाकुर, सार्जेंट बताते हैं कि गांव में जाइका वन विभाग अधिकारियों और पूर्व डीएफओ वीपी पठानिया की देख-रेख में कार्यन्वित हुई. उन्होंने बताया कि परियोजना से पौधारोपण के तहत गांव में 20 हेक्टेयर में काम हो रहा है जिसमें 10 हेक्टेयर विभागीय मोड और 10 हेक्टेयर पार्टिसिपेटरी फॉरेस्ट मैनेजमेंट मोड में किया जा रहा है. जिसमें 5000 पौधे 10 हेक्टेयर में और 5000 पौधे विभागीय मोड में प्रत्यारोपित किए गए हैं. वहीं, जीविकोपार्जन कार्यक्रम में दो स्वयं सहायता समूह गांव में गठित किए गए हैं. नैणा माता सिलाई कढ़ाई समूह और जोगणी माता मशरूम ग्रुप. इसके अतिरिक्त 5 लाख रूपये की लागत से कम्युनिटी हॉल बनाया गया है. निर्माण कार्य में 10 प्रतिशत भागीदारी गांव वासियों की रही.

नैणा माता स्वयं सहायता समूह कठोगण की प्रधान रीता कुमारी और सदस्य चम्पा देवी ने बताया कि दिसंबर 2020 से सिलाई -कढ़ाई और बुनाई का काम शुरू किया. जिसके लिए 2 माह का प्रशिक्षण मिला और जाइका द्वारा आसान दरों पर एक लाख रुपये का लोन भी दिया गया. ग्रुप में आठ महिलाए हैं जो आपस में लोन की सहायता से लेन देन कर रहे हैं. स्वेटर, कपड़े सिलने, फ्रॉक इत्यादि की सिलाई कढ़ाई कर अपने पैरों पर खड़ा होने का अहसास हुआ. वहीं, घर का खर्चा उठा पाने में सक्षम हो पाई.

मशरूम उत्पादन पर दोगुना मिल रहा है लाभ

जोगणी माता मशरूम ग्रुप कठोगण के प्रधान बालम राम ठाकुर और सदस्य रोशन लाल ने बताया कि समूह के 15 सदस्य हैं, जो दिसंबर 2020 से कार्य कर रहे है. ढींगरी और बटन मशरूम उत्पादन का दो दिन का प्रशिक्षण सुंदरनगर फिर केवीएस डॉक्टरों द्वारा 15 दिन का डेमो मिला, उसके बाद 6 दिन का चंबाघाट, सोलन में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया फिर समय-समय पर कृषिविदों का मार्ग दर्शन मिलता रहता है. उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी खेती है जो सुबह -शाम की जा सकती है और इसे जानवर भी क्षति नहीं पहुंचाता. उन्होंने बताया कि मशरूम के बेड सुंदरनगर या पालमपुर से लाने पड़ते है. जहां ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है. मशरूम उत्पादन पर लगाई राशि का दोगुना शुद्ध लाभ मिल रहा है. हमें एक बैग का 50 रुपये खर्च आता है जिससे 3 किलो तक मशरूम निकल जाते है. जोकि इसमें 300-400 रुपये तक बाजार में बिक जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस अत्यंत लाभकारी कार्य करने से उनकी आर्थिक सुदृढ़ हुई है.

रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर, सरकाघाट रजनी राणा ने बताया कि कठोगण में वीएफडीएस में दो स्वयं सहायता समूह हैं. एक मशरूम की खेती और दूसरा कटिंग और टेलरिंग का काम करता है. इनके सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया है. सिलाई कढ़ाई हेतु अनुदान पर आवश्यक मशीनें भी विभाग की तरफ से मुहैया करवाई जा रही हैं जिसके लिए 75 प्रतिशत खर्च विभाग और प्रोजेक्ट जबकि 25 प्रतिशत लाभार्थी को वहन करना होगा. प्रोजेक्ट के तहत ही पाईन नीडल की ब्रिकेट्स बनाने का भी प्रशिक्षण और डेमोंसट्रेशन दिया गया. डिपार्टमेंटल और पीएफएम मोड में प्लांटेशन का कार्य भी करवाया जा रहा है. साथ-साथ ग्राफटेड प्लांट्स में आंवला, हरड़, भेड़ा, जामुन आदि औषधियां पौधे लगाए गए हैं. सामुदायिक विकास में सामुदायिक हाल बनाया गया है. रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाए गए हैं. लोग अपने साथ वाली जगह पर पानी पहुंचा सकते हैं और सिंचाई या अन्य कार्यों में इसका उपयोग कर सकते हैं. इसके अलावा पानी की कुल्हें , पानी के टैंक बनाए गए हैं.

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Last Updated : Dec 31, 2023, 7:57 PM IST

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