मंडी:प्रदेश में भले ही घर-द्वार पर शिक्षा देने के लिए स्कूलों को अपग्रेड करने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हो, लेकिन जमीनी हकीकत (education system in himachal) कुछ और ही है. सरकार स्कूलों में छात्रों के लिए भवन का निर्माण करना ही भूल जाती है. शिक्षा के मंदिरों में पढ़ाई के नाम पर खुले आम छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी (cm jairam home district mandi) के उपमंडल करसोग में ऐसी ही राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील (government school mandi) है, जहां 16 वर्षों में दो बार स्कूल का दर्जा बढ़ाने के बाद भी अभी तक भवन का निर्माण (lack of facilities in government school) नहीं हुआ है. शिमला-करसोग मुख्य मार्ग (shimla karsog main road) पर तहसील मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील में 7 कक्षाओं को चलाने के लिए केवल 4 कमरे हैं.
कोरोना काल में दो साल बाद खुले स्कूल में पर्याप्त कमरे न होने से छात्र खुले आसमान के नीचे धूल भरे मैदान में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. हालत ये है कि सर्दियों में मौसम खराब होने की वजह से बच्चों को छुट्टी कर घर भेज दिया जाता है या फिर स्कूल के बरामदे में खड़ा होकर छात्रों को बारिश रुकने का इंतजार करना पड़ता है.
बच्चों की परेशानी को देखते हुए अभिभावक कई सालों से भवन निर्माण की गुहार लगा रहे हैं. जिसके लिए शिक्षा विभाग (education department himachal pradesh) के पास करीब 7 बीघा भूमि भी उपलब्ध है, लेकिन लोगों की आवाज अफसरशाही के कानों तक नहीं पहुंच रही है. ऐसे में स्थानीय जनता में सरकार के प्रति भारी रोष है.