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राजमिस्त्री के बेटे से हिमाचल के मुखिया तक का सफर, 8 KM पैदल चलकर पहुंचते थे स्कूल

साधारण परिवार मे जन्मे जयराम ठाकुर हिमाचल की सियासत में एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं. जयराम 8 किलोमीटर दूर स्कूल पैदल पहुंचते थे. जयराम ठाकुर बचपन से ही विनम्र और शालीन स्वभाव के थे. जयराम ठाकुर ने छात्र संगठन से राजनीति की शुरुआत की. वर्ष 1989-93 टकवे जम्मू कश्मीर एबीवीपी के संगठन सचिव रहे. वर्ष 1993-95 तक भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव रहे. वर्ष 2006-09 तक हिमाचल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे.

जयराम ठाकुर
जयराम ठाकुर

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Published : Jan 5, 2021, 11:15 PM IST

Updated : Jan 6, 2021, 4:09 AM IST

मंडीःहिमाचल प्रदेश की सियासत में जयराम ठाकुर एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं. जयराम ठाकुर ने अपना सियासी सफर छात्र राजनीति से शुरू किया और 1998 में सराज से अपना पहला विधानसभा का चुनाव जीता. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और एक के बाद एक लगातार पांचवीं जीत दर्ज कर, 27 दिसंबर 2017 को प्रदेश को 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की.

जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी जिला के तांदी में पिता जेठू राम ठाकुर, माता बिक्रमू देवी के घर हुआ. उनका बचपन गरीबी में बीता. परिवार में तीन भाई और दो बहनें थी. पिता खेती-बाड़ी और राजमिस्त्री का काम कर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे. जयराम ठाकुर ने स्कूल की प्राथमिक पढ़ाई कुराणी स्कूल से की और उच्च शिक्षा बगस्याड पाठशाला से प्राप्त की.

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8 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल आते थे जयराम
उच्च शिक्षा के दौरान बगस्याड पाठशाला में जयराम ठाकुर के सहपाठी रहे गगन कश्यप ने बताया कि जयराम ठाकुर स्कूल टाइम से ही होनहार छात्र थे और 8 किलोमीटर दूर चलकर स्कूल आते थे. उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर विनम्र स्वभाव के छात्र थे और कभी भी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करते थे. उन्होंने कहा कि जब जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने तो उच्च शिक्षा साथ में प्राप्त किए सभी दोस्तों ने उनका पीटरहॉफ शिमला में जश्न मना कर स्वागत किया.

छात्र संगठन में साथी ने बताया जय राम एक समर्पित कार्यकर्ता
उच्च शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी आए और वल्लभ महाविद्यालय से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की. कॉलेज की पढ़ाई के दौरान में छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े और एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने छात्र संगठन में कार्य किया. उपायुक्त कार्यालय मंडी में बतौर सुपरिटेंडेंट अपनी सेवाएं दे रहे राजेश शर्मा ने बताया कि कॉलेज में पढ़ाई के दौरान 1986 में जयराम ठाकुर के संपर्क में आने के बाद वह भी छात्र राजनीति से जुड़े. उन्होंने कहा कि कॉलेज के समय से ही जयराम ठाकुर ने समर्पित कार्यकर्ता के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को निभाया, उसी की बदौलत जयराम ठाकुर प्रदेश की कमान संभाल रहे हैं.

जयराम ठाकुर के इंग्लिश अध्यापक ने बताया
कॉलेज के समय अंग्रेजी की शिक्षा देने वाले अध्यापक आईडी शर्मा का कहना है कि जयराम ठाकुर पढ़ाई में ही नहीं बल्कि अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी आगे रहा करते थे. उन्होंने कहा कि छात्र संगठन में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने कॉलेज में कार्य किया और अध्यापकों को भी हमेशा सम्मान दिया करते थे. उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति के दौरान वे सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहे हैं.

दोस्तों के साथ जयराम ठाकुर
छून्ना टी स्टॉल की चाय और बेसन के मुरीद थे जयराम

मंडी में अपनी पढ़ाई के दौरान व छात्र राजनीति में प्रवेश करने के बाद जयराम ठाकुर अक्सर चाय पीने व बेसन खाने के लिए छून्ना टी स्टॉल जाया करते थे और घंटो टी स्टॉल में बैठकर राजनीति पर चर्चा किया करते थे, मुख्यमंत्री बनने के बाद मंडी पहुंचे जयराम ठाकुर ने अपने भाषण के दौरान छून्ना टी स्टॉल का जिक्र किया था. छून्ना टी स्टॉल के मालिक का कहना है कि जयराम ठाकुर को बेसन बहुत पसंद है और कॉलेज समय में वे यहां पर बेसन खाया करते थे. उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर जब मुख्यमंत्री बनने के बाद सर्किट हाउस पहुंचे तो उन्होंने उनके लिए बेसन भिजवाया और जयराम ठाकुर बेसन खाने के बाद बहुत खुश हुए.

राजनीतिक सफर
जयराम ठाकुर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू की, वल्लभ महाविद्यालय में पढ़ाई के दौरान एबीवीपी संगठन से जुड़े. वर्ष 1986 में जयराम ठाकुर एबीवीपी के प्रदेश संयुक्त सचिव बने. वर्ष 1989-93 तक जम्मू कश्मीर एबीवीपी के संगठन सचिव रहे. वर्ष 1993-95 तक भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव रहे. वर्ष 2006-09 तक हिमाचल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे. वर्ष 1993 में जयराम ठाकुर ने सराज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट लेकर चुनाव लड़ा और वह अपना पहला चुनाव हार गए. बस 1998 में जयराम ठाकुर ने फिर से सराज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की उसके बाद उन्होंने लगातार पांचवीं जीत हासिल की. वर्ष 1995 में उन्होंने जयपुर की डॉक्टर साधना सिंह के साथ शादी की और आज उनकी दो बेटियां हैं.

Last Updated : Jan 6, 2021, 4:09 AM IST

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