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IIT Mandi के वैज्ञानिकों ने AI Algorithm किया विकसित, भूस्खलन के पूर्वानुमान को बनाएगा अधिक सटीक - mandi news hindi

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने AI एल्गोरिदम विकसित किया है जो भूस्खलन के पूर्वानुमान को अधिक सटीक बनाएगा. (IIT Mandi scientists develop AI algorithm)

IIT Mandi scientists develop AI algorithm
IIT Mandi scientists develop AI algorithm

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Published : Feb 21, 2023, 6:08 PM IST

मंडी:भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग (एआई एंड एमएल) का उपयोग करके एक नया एल्गोरिदम विकसित किया है. जिससे प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान को अधिक सटीक बनाया जा सकता है. आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डेरिक्स प्रेज शुक्ला और तेल अबीब यूनिवर्सिटी (इजराइल) के डॉ. शरद कुमार गुप्ता द्वारा विकसित इस एल्गोरिदम से भूस्खलन संवेदी मैपिंग संबंधी डेटा असंतुलन की चुनौतियों से निपटा जा सकता है जो किसी क्षेत्र में भूस्खलन होने की संभावना को दर्शाते हैं.

IIT Mandi के वैज्ञानिकों ने AI Algorithms किया विकसित

इनके अध्ययन के परिणाम हाल ही में लैंडस्लाइड पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. भूस्खलन दुनियाभर में पर्वतीय क्षेत्रों में अक्सर घटने वाली आपदा होती है जिसके कारण जानमाल का काफी नुकसान होता है. इन खतरों का अनुमान लगाने और इनसे निपटने के लिए ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना जरूरी है जो भूस्खलन संवेदी हों. भूस्खलन संवेदी मैपिंग (एलएसएम) से ढलान, उठान, भू गर्भ विज्ञान, मिट्टी के प्रकार, भ्रंशों से दूरी, नदियों एवं भ्रंश क्षेत्र और ऐतिहासिक भूस्खलन आंकड़े जैसे कारक तत्वों के आधार पर एक विशिष्ट क्षेत्र में होने वाले भूस्खलन के होने की संभावना के संकेतक होते हैं.

भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगाने के लिये कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) का उपयोग काफी महत्वपूर्ण हो गया है. इससे कठिन मौसम संबंधी घटनाओं का अनुमान लगाने, आपदा का मानचित्र तैयार करने, वास्तविक आधार पर घटनाओं का पता लगाने, स्थिति के अनुरूप जागरूकता फैलाने और निर्णय करने में सहयोग मिल सकता है. डॉ. शुक्ला की टीम ने एक नया एमएल एल्गोरिदम विकसित किया है जो एल्गोरिदम के प्रशिक्षण के लिये डाटा असंतुलन के मुद्दे का समाधान करता है. यह दो नमूना तकनीक इजी इनसेंबल (सरल स्थापत्य) और बैलेंस कास्केड (संतुलित जलप्रपात) का उपयोग से भूस्खलन मैपिंग में डाटा असंतुलन के मुद्दों से निपटने में करता है. इस तकनीक से आने वाले समय में पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों में होने वाली आपदा और भूकंप इत्यादि का पूर्वानूमान लगान संभव हो सकेगा.

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