मंडी:भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग (एआई एंड एमएल) का उपयोग करके एक नया एल्गोरिदम विकसित किया है. जिससे प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान को अधिक सटीक बनाया जा सकता है. आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डेरिक्स प्रेज शुक्ला और तेल अबीब यूनिवर्सिटी (इजराइल) के डॉ. शरद कुमार गुप्ता द्वारा विकसित इस एल्गोरिदम से भूस्खलन संवेदी मैपिंग संबंधी डेटा असंतुलन की चुनौतियों से निपटा जा सकता है जो किसी क्षेत्र में भूस्खलन होने की संभावना को दर्शाते हैं.
इनके अध्ययन के परिणाम हाल ही में लैंडस्लाइड पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. भूस्खलन दुनियाभर में पर्वतीय क्षेत्रों में अक्सर घटने वाली आपदा होती है जिसके कारण जानमाल का काफी नुकसान होता है. इन खतरों का अनुमान लगाने और इनसे निपटने के लिए ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना जरूरी है जो भूस्खलन संवेदी हों. भूस्खलन संवेदी मैपिंग (एलएसएम) से ढलान, उठान, भू गर्भ विज्ञान, मिट्टी के प्रकार, भ्रंशों से दूरी, नदियों एवं भ्रंश क्षेत्र और ऐतिहासिक भूस्खलन आंकड़े जैसे कारक तत्वों के आधार पर एक विशिष्ट क्षेत्र में होने वाले भूस्खलन के होने की संभावना के संकेतक होते हैं.