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कोटरोपी हादसे के शिकार सैनिक के परिवार को मिला न्याय, HRTC को भरना होगा 50 लाख का हर्जाना - HRTC compensate family of soldier

13 अगस्त 2017 को हुआ कोटरोपी हादसे को याद कर आज भी हिमाचल की रूह कांप ऊठती है. इस दर्दनाक हादसे में 42 लोगों ने मौके पर ही जान गंवा दी थी. मृतकों में शामिल सेना के एक जवान के परिवार को करीब एक साल के बाद राहत की खबर मिली है. मोटर वाहन एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (3) अपर्णा शर्मा के न्यायलय ने सैनिक के परिवार को 50 लाख की मुआवजा राशि देने का फैसला सुनाया है.

कोटरोपी हादसे का घटनास्थल.

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Published : Aug 30, 2019, 12:04 AM IST

मंडी: कोटरोपी हादसे का शिकार हुए सैनिक के परिवार को करीब पचास लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जाएगी. अदालत ने परिवार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हिमाचल पथ परिवहन निगम को 49 लाख 24 हजार 172 रुपये की मुआवजा राशि देने के आदेश दिया है.

हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से दायर इस मामले में हिमाचल पथ परिवहन निगम को यह मुआवजा राशि घटना के शिकार बने सैनिक अनिल कुमार की पत्नी, माता और बेटे के पक्ष में अदा की जाएगी. मोटर वाहन एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (3) अपर्णा शर्मा के न्यायलय ने बल्द्वाड़ा तहसील के नवाणी (त्रिफालघाट) निवासी कल्पना देवी, सावित्री देवी और अर्नव ठाकुर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए परिवहन निगम को मुआवजा राशि 7 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि 13 अगस्त 2017 को सेना में तैनात जवान अनिल कुमार परिवहन निगम की बस पर जम्मू से मंडी आ रहे थे. इसी दौरान पठानकोट-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटरोपी के पास भारी भूस्खलन होने से यह बस मलबे में दब गई थी. इस हादसे में अनिल कुमार सहित 42 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई थी.
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव असलम बेग ने बताया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस दुर्घटना में शिकार हुए पीड़ितों के परिजनों को हर्जाना देकर तुरंत राहत पहुंचाने के लिए प्रदेश उच्च न्यायलय में एक सितंबर 2017 को प्रि लिटिगेशन मिडिएशन लोक अदालत का आयोजन किया था, लेकिन लोक अदालत में मुआवजा निर्धारित नहीं हो सका था.

ऐसे में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने अधिवक्ता समीर कश्यप को मध्यस्थ तैनात कर पीड़ित परिवारों के हर्जाने संबंधी मामलों के निराकरण करने की कोशfश की थी. मध्यस्थता के लिए 7,12 और 23 अक्तूबर को दोनों पक्षों के बीच संयुक्त सुनवाई की गई, लेकिन इन प्रयासों से भी वांछित परिणाम हासिल न हो सके. जिसके चलते जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने अधिवक्ता गीतांजलि शर्मा को पीड़ित परिवार की ओर से मोटर वाहन अधिनियम ट्रिब्यूनल में क्लेम याचिका दायर करने व उन्हें कानूनी सहायता मुहैया करने के लिए बतौर अधिवक्ता नियुक्त किया था. ट्रिब्यूनल ने याचिका को स्वीकार किया और हिमाचल पथ परिवहन निगम को 45 दिनों के भीतर 50 लाख की हर्जाना राशि ब्याज सहित पीड़ित परिवार को अदा करने का फैसला सुनाया.

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