मंडी: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब खिलाड़ी मेडल जीतते हैं तो ओलंपिक विजेता खिलाड़ियों पर सरकारें करोड़ों रुपये लुटाती हैं. उन्हें उच्च पदों पर सरकारी नौकरियां भी दी जाती हैं. शायद अक्षम खिलाड़ियों की सरकार की नजर में कोई वैल्यू नहीं होती है. तभी सरकार की नजरों में विशेष खिलाड़ियों की उपलब्धि मायने नहीं रखती. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मंडी जिले की एक दिव्यांग ओलंपिक विजेता खिलाड़ी बीते 8 वर्षों से अपने हक का इंतजार कर रही है, लेकिन सरकार के पास शायद इस दिव्यांग खिलाड़ी को देने के लिए कुछ भी नहीं है.
बात मंडी जिले के सरकाघाट उपमंडल के भडरेसा गांव की 22 वर्षीय दिव्यांग खिलाड़ी पलक भारद्वाज की हो रही है. 2015 में पलक ने अमेरिका के लॉस एंजेलिस में हुए स्पेशल ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया और रोलर स्केटिंग में देश को दो सिल्वर मेडल दिलाए. जब पलक वापस अपने देश पहुंची तो सरकार ने इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. पलक के पिता भीम सिंह भारद्वाज ने 2015-2017 तक अपनी बेटी के हक की लड़ाई लड़ी और मीडिया के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाई. तत्कालीन सरकार ने ऐसे खिलाड़ियों को 25 हजार प्रति मेडल की दर से प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया, जिसे पलक के परिजनों ने पूरी तरह से ठुकरा दिया.