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किसानों के प्रति केंद्र सरकार का उग्र रवैया मानवाधिकार का हनन: दीपक शर्मा - farmer protest in delhi border

हिमाचल कांग्रेस कमेटी सचिव दीपक शर्मा ने बीजेपी सरकार को तानाशाह करार दिया है. उन्होंने कहा है कि बीजेपी सरकार का किसान आंदोलन को दबाने से जाहिर हो चुका है कि बीजेपी सरकारें पूंजीपतियों के साथ हैं और उनकी मुनाफाखोरी को सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आवाज को दबाना चाहती हैं जिसे देश का मजदूर-किसान कतई मंजूर नही करेगा.

Deepak Sharma
दीपक शर्मा

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Published : Dec 3, 2020, 11:22 AM IST

मंडी: जिला कांग्रेस कमेटी मंडी के पूर्व अध्यक्ष व प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव दीपक शर्मा ने किसान विरोधी कानूनों को लेकर किसानों के दिल्ली मार्च का पुरजोर समर्थन किया है. दीपक शर्मा ने केंद्र व हरियाणा सरकार द्वारा किये जा रहे किसानों के बर्बर दमन की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों के प्रति केंद्र सरकार का उग्र रवैया मानवाधिकार अधिकारों का हनन है.

पूंजिपतियों के साथ है बीजेपी सरकार

प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव दीपक शर्मा ने कहा कि मोदी व खट्टर की बीजेपी सरकारें किसानों को कुचलने पर आमादा हैं, जोकि बेहद निंदनीय है. उन्होंने बीजेपी सरकारों को तानाशाह करार दिया है. दीपक शर्मा ने कहा कि किसान आंदोलन को दबाने से जाहिर हो चुका है कि ये दोनों बीजेपी सरकारें पूंजीपतियों के साथ हैं और उनकी मुनाफाखोरी को सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आवाज को दबाना चाहती हैं जिसे देश का मजदूर-किसान कतई मंजूर नही करेगा.

किसानों के साथ मजदूरों की एकजुटता का आह्वान

दीपक शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार किसान विरोधी नीतियां लाकर किसानों को कुचलना चाहती है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव ने देश के किसानों को ऐतिहासिक आंदोलन के लिए बधाई दी है, जिसमें करोड़ों किसान शामिल हो चुके हैं. लाखों किसान ट्रैक्टरों के साथ आंदोलन के मैदान में हैं. सरकार की लाठी, गोली, आंसू गैस, सड़कों पर खड्डे खोदना, बैरिकेड व पानी की बौछारें भी किसानों के हौसलों को पस्त नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने किसानों के साथ मजदूरों की एकजुटता का आह्वान किया है.

किसान विरोधी हैं तीनों नए कृषि कानून

प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव दीपक शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानून पूरी तरह किसान विरोधी हैं. इसके कारण किसानों की फसलों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए विदेशी और देसी कंपनियों और बड़े पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश रची जा रही है. इन कानूनों से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा को समाप्त कर दिया जाएगा. आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानून को खत्म करने से जमाखोरी, कालाबाजारी व मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा. इससे बाजार में खाद्य पदार्थों की बनावटी कमी पैदा होगी व खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे. कृषि कानूनों के बदलाव से बड़े पूंजीपतियों और देसी - विदेशी कंपनियों का कृषि पर कब्जा हो जाएगा और किसानों की हालत दयनीय हो जाएगी.

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