करसोग/मंडी: कोरोना महामारी में फ्रंट लाइन पर दिन और रात सेवाएं दे रहे हेल्थ सोसाइटी के सैकड़ों कर्मचारियों के भविष्य की सरकार को कोई चिंता ही नहीं है.
हेल्थ सोसाइटी के तहत काम कर रहे करीब 1500 कर्मचारी कोरोना संकट में इन दिनों जान जाखिम में डाल कर लोगों की सेवा कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार इन कर्मचारियों का भविष्य संवारने के लिए कोई भी पॉलिसी नहीं बना रही है, जबकि ये कर्मचारी पिछले 15 से 20 सालों से पॉलिसी बनाए जाने की लगातार मांग उठा रहे हैं.
हालांकि प्रदेश की पूर्व कांग्रेस सरकार ने फरवरी 2016 में हेल्थ सोसायटी तहत काम कर रहे करीब 1500 कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल देने की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन चार साल से अधिक का समय बीतने पर भी इन कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल नहीं दिया गया.
वहीं, इसी बीच भाजपा की जयराम सरकार को सत्ता में आए हुए ढाई साल से अधिक का समय हो गया है. हेल्थ सोसायटी के कर्मचारियों दोनों ही सरकारों से रेगुलर पे स्केल की अधिसूचना को लागू करने की लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि दोनों ही सरकारों में कर्मचारियों की कोई सुनवाई नहीं हुई.
सरकार की इस अनदेखी से इस साल हेल्थ सोसायटी के तहत एड्स कंट्रोल सोसायटी, एनआरएचएम व आरएनटीसीपी में बहुत से कर्मचारी अब रेगुलर पे स्केल के इंतजार में ही रिटायर हो जाएंगे.
हर महीने 18 हजार का नुकसान
हेल्थ सोसायटी के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर पे स्केल न मिलने से हर महीने करीब 18 हजार का नुकसान झेलना पड़ रहा है. इन कर्मचारियों को वर्तमान में प्रति माह 18 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा है. अगर सरकार रेगुलर पे स्केल देती है, तो इन्हें हर महीने नियमित कर्मचारियों की तरह 36 हजार वेतन मिलेगा.