मंडी:मंगलवार 29 नवंबर की रात को मंडी जिले के बगोट गांव में मानो दिवाली आ गई हो. खूब पटाखे छोड़े गए, मिठाइयां बांटी गई और जमकर नाटी डाली गई. ये नजारा 21 साल के विशाल के घर का था जो 41 मजदूरों के साथ उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल से 17 दिन बाद सकुशल बाहर निकल आया था. टीवी पर पुष्कर सिंह धामी से गले मिलते विशाल की तस्वीरें देख परिवार की आंखों से आंसू छलक गए. 17 दिन बाद विशाल की दादी, मां, मामा, मामी और तमाम रिश्तेदारों के दिल को राहत मिली थी. खुशखबरी मिली थी तो जश्न दिवाली सरीखा बनता भी था, वैसे भी दिल बैठाने वाली खबर परिवार को दिवाली के दिन ही मिली थी.
दिवाली की वो 'काली' सुबह- 12 नवंबर 2023 को पूरा देश दिवाली मनाने की तैयारी में था. लेकिन दिवाली की सुबह करीब 5 बजे उत्तरकाशी में बन रही टनल का एक हिस्सा गिर गया और 41 मजदूर अंदर फंस गए. नाइट ड्यूटी के लिए टनल में गया विशाल भी इनमें से एक था. मंडी में मौजूद परिवार को खबर मिली तो रोशनी के त्योहार की खुशियां आंसुओं में तब्दील हो गई.
खबर मिलते ही विशाल का भाई योगेश और पिता धर्म सिंह उत्तरकाशी के लिए निकल पड़े. योगेश भी सिल्क्यारा टनल में काम करता था लेकिन दिवाली के मौके पर घर आया हुआ था. भाई और पिता ने टनल के बाहर डेरा डाल लिया और वहां से परिवार को रेस्क्यू ऑपरेशन की पल-पल की अपडेट देते रहे. वहीं परिवार भी पूजा-पाठ में लगा रहा और भगवान से सभी मजदूरों के सकुशल होने के साथ-साथ रेस्क्यू के सफल होने की दुआ भी मांगता रहा. मीडिया के जरिये रोज मिल रही रेस्क्यू की अपडेट से कभी दिल बैठ जाता तो कभी उम्मीद की किरण परिवार के चेहरे पर राहत ले आती.
दिवाली के पटाखे 17 दिन बाद जलाए-मंगलवार को जैसे ही रेस्क्यू ऑपरेशन के सफल होने की ख़बर आई तो परिवार ने दिवाली पर खरीदे गए पटाखे फोड़े और दिवाली मनाई. भजन कीर्तन के साथ भगवान का शुक्रिया किया गया, मिठाइयां बांटी गई और हिमाचली धुनों पर नाटी डाली गई. परिवार ने वो जश्न मनाया जो दिवाली पर नहीं मना पाया था लेकिन अब परिवार को विशाल के घर पहुंचने का इंतजार है. स्वागत की पूरी तैयारी है और दिवाली का पूरा जश्न पूरा परिवार मिलकर मनाएगा.
सबका शुक्रगुजार है परिवार- विशाल की मां उर्मिला देवी से लेकर दादी गवर्धनू देवी और मामा परमदेव से लेकर मामली सुमना देवी तक हर कोई उत्तराखंड से लेकर केंद्र सरकार तक का शुक्रगुजार है. पूरा परिवार इस रेस्क्यू में लगे हर शख्स का आभार व्यक्त कर रहा है. बस गुजारिश है कि जैसे बेटा सकुशल टनल से बाहर आ गया है वैसे ही सकुशल घर भी पहुंच जाए. ताकि इतने दिन से उम्मीदी और नाउम्मीदी के बीच पल-पल भीगती आंखों को जिगर के टुकड़े का दीदार हो सके. परिवार सबका शुक्रगुजार है लेकिन एक डर है जो विशाल के परिजनों को खाए जा रहा है.
"अब टनल में नहीं जाएगा विशाल"- इस हादसे के बाद से पूरा परिवार जैसे टनल का नाम सुनते ही सहम उठता है. विशाल की दादी अपने पोते के सकुशल टनल से निकलने को लेकर खुश तो है लेकिन हाथ जोड़ते हुए उसकी एक गुजारिश है.