हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

गाड़ागुशैणी को पूर्व CM धूमल ने कहा था मिनी स्विट्जरलैंड, सरकार दे ध्यान तो मिल सकती है पहचान

By

Published : Jan 20, 2021, 8:36 PM IST

हिमाचल में प्रकृति ने जमकर अपनी सुंदरता बिखेरी है. यहां प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर कई खूबसूरत जगहें हैं, लेकिन इन जगहों के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. ईटीवी भारत की खास सीरीज अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही खूबसूरत जगहों के बारे में जानकारी देते हैं. आज अनछुआ हिमाचल में हम आपको जिला मंडी और कुल्लू की सीमा पर स्थित गाड़ागुशैणी के बारे में जानकारी देंगे.

gadagushaini the untouched place of himachal, गाड़ागुशैणी हिमाचल का अछूता स्थान
गाड़ागुशैणी.

मंडी/सराज: हिमाचल में प्रकृति ने जमकर अपनी सुंदरता बिखेरी है. यहां प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर कई खूबसूरत जगहें हैं, लेकिन इन जगहों के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. ईटीवी भारत की खास सीरीज अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही खूबसूरत जगहों के बारे में जानकारी देते हैं. आज अनछुआ हिमाचल में हम आपको जिला मंडी और कुल्लू की सीमा पर स्थित गाड़ागुशैणी के बारे में जानकारी देंगे.

प्रकृति की गोद में बसा गाड़ागुशैणी अभी तक पर्यटकों की पहुंच से दूर है. साल 1998 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल ने जब इस क्षेत्र का दौरा किया था, तो उन्हें ये जगह इतनी पसंद आई कि जनसभा में गाड़ागुशैणी को मिनी स्विट्जरलैंड से संबोधित कर दिया.

वीडियो रिपोर्ट.

गाड़ागुशैणी के आसपास खौली, छाछगलू , तुंगासीधार और माधोपुर गढ़ पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है. खौली गाड़ागुशैणी से 4 किलोमीटर की दूरी पर है, जो कि खूबसूरत पर्यटन स्थल है. यहां कुछ दुकानों के अलावा ढाबानुमा रेस्टारेंट हैं, जहां खाने पीने की चीजें मिल जाती हैं.

खौली के चारों ओर देवदार, रई और खरशु के घने जंगल मन मोह लेने वाले हैं. वहीं, छाछगलू गाड़ागुशैणी की चोटी पर स्थित है, जहां से कुल्लू और मंडी जिला की खूबसूरत वादियों को निहारा जा सकता है. इसके साथ ही गाड़ागुशैणी के माधोपुर गढ़ और तुंगासीधार ट्रैकिंग के लिए बेहतरीन स्थल हो सकते हैं. इसके अलावा ये क्षेत्र आज भी अपनी पुरानी शैली के काष्टकुणी मकानों की धरोहर को बचाए हुए है, जो सांस्कृतिक पर्यटन के महत्वपूर्ण दस्तावेज माने जा सकते हैं.

गाड़ागुशैणी में बिछी बर्फ की सफेद चादर

ग्रीष्मकालीन पर्यटन का खूबसूरत पड़ाव

ग्राम पंचायत थाचाधार के प्रधान ललित कुमार ने कहा कि अगर गाड़ागुशैणी को संवारने का प्रयास किया जाए, तो यह पर्यटकों के लिए ग्रीष्मकालीन पर्यटन का एक खूबसूरत पड़ाव हो सकता है. उन्होंने कहा कि जीभी से गाड़ागुशैणी का मार्ग में सुधार करने की जरूरत है. पर्यटक सड़क की हालत देखकर जीभी से आगे नहीं आ पाते. उन्होंने कहा कि दूसरे पर्यटन स्थलों की तर्ज पर गाड़ागुशैणी को विकसित करने की जरूरत है.

गाड़ागुशैणी प्रदेश के कई मशहूर पर्यटन स्थलों से कम खूबसूरत नहीं, लेकिन ये क्षेत्र सरकार की बेरुखी का शिकार रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी गाड़ागुशैणी में पर्यटन संबंधी किसी भी योजना की घोषणा नहीं की है. इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर लोग निजी वेबसाइट और सोशल मीडिया के माध्यम से क्षेत्र को प्रमोट करने में प्रयासरत है.

गाड़ागुशैणी

कैसे पहुंचे गाड़ागुशैणी

गाड़ागुशैणी जिला मुख्यालय मंडी से 78 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां के लिए जिला मुख्यालय से निगम की बस सेवाएं उपलब्ध हैं. मंडी से एनएच 21 पर स्थित थलौट से भी गाड़ागुशैणी के लिए निजी वाहन और बसें चलती हैं.

थलौट से औट-लुहरी एनएच 305 से जीभी का सफर मुख्य सड़क मार्ग द्वारा तय किया जाता है. इसके बाद जीभी- गाड़ागुशैणी संपर्क मार्ग से भी इस खूबसूरत क्षेत्र में दस्तक दी जा सकती है.

जीभी के अलावा बाहु को भी निहार सकते हैं

मंडी के अलावा भुंतर हवाई अड्डे से गाड़ागुशैणी के लिए बसें ली जा सकती हैं जो जिला मुख्यालय कुल्लू से नियमित रूप से चलती है. बता दें कि कुल्लू से गाड़ागुशैणी 68 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. पर्यटक रास्ते में जीभी के अलावा बाहु को भी निहार सकते हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता के अलावा धार्मिक पर्यटन के रूप में भी विख्यात होता जा रहा है. इस पूरे रास्ते में देवदार के घने जंगल पर्यटकों का स्वागत करते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details