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फोरलेन विस्थापित संघ औट ने डीसी के माध्यम से सीएम को भेजा ज्ञापन, विस्थापितों को जल्द दुकानें देने की मांग

फोरलेन विस्थापित संघ औट (Fourlane Displaced Union Aut) ने वीरवार को डीसी मंडी अरिंदम चौधरी के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक ज्ञापन भेजा हैं. विस्थापित संघ का कहना है कि अगर जल्द उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे सड़क पर आंदोलन करेंगे और न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएंगे.

Fourlane displaced union aut submitted  memorandum to DC mandi
फोरलेन विस्थापित संघ औट ने डीसी को सौंपा ज्ञापन.

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Published : Feb 17, 2022, 4:04 PM IST

मंडी: मुख्यमंत्री के गृह जिले में फोरलेन विस्थापित संघ ने प्राथमिकता के आधार पर विस्थापितों को दुकानें देने की मांग की है. इसी कड़ी में फोरलेन विस्थापित संघ औट (Fourlane Displaced Union Aut) ने वीरवार को डीसी मंडी अरिंदम चौधरी के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक ज्ञापन (Fourlane displaced union aut sent a memorandum to CM) प्रेषित किया है.

बता दें कि 5 फरवरी को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने गृह जिला के प्रवास के दौरान द्रंग विधानसभा क्षेत्र के औट में 1.15 करोड की लागत से बनने वाले बचत समिति के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. यहां पर बचत समिति द्वारा 18 दुकानों का निर्माण किया जाएगा. वहीं, औट विस्थापित संघ का कहना है कि औट में पिछले 4 सालों से फोरलेन निर्माण के चलते 40 के करीब दुकानदार विस्थापन का दंश झेल रहे हैं और उन्हें रोजी रोटी कमाना मुश्किल हो गया है.

फोरलेन विस्थापित संघ औट के अध्यक्ष (President of Fourlane Displaced Union Aut) राजेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि फोरलेन निर्माण के चलते वे पूरी तरह से उजड़ चुके हैं और पूरे 4 साल होने पर भी अभी तक कहीं भी स्थापित नहीं हो पाए हैं. उन्होंने कहा कि विस्थापित दुकानदारों को दुकानदारी करने के लिए कहीं भी दुकानें नहीं मिल पा रही हैं. वहीं, औट विस्थापित संघ ने उनकी जमीनों का उचित मुआवजा न देने के भी आरोप लगाए हैं.

राजेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि प्रभावितों को 4 गुना मुआवजा और ब्याज की राशि अभी तक नहीं मिल पाई है, जिसको लेकर फोरलेन प्रभावितों में भारी रोष है. संघ का कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो आनेवाले दिनों में वे सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन (protest against jairam government) करेंगे. यदि उसके बाद भी उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होंगे.

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