सुदंरनगर/मंडी: कीरतपुर-नेरचौक फोर लेन निर्माण पूरी तरह से बंद होने के बाद अब तिलमिलाए एनएचएआई के परियोजना निदेशक पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय देहरादून पहुंच गए हैं. उन्होंने मामले की नियमानुसार जांच करने के लिए तीन महीने का समय मांगा है और इस पर मंत्रालय समय देने पर विचार कर रहा है.
फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव मदनलाल शर्मा ने एनएचएआई के परियोजना निदेशक की इस मांग पर कड़ी आपत्ति जताई है. समिति ने मंत्रालय को पत्र लिखकर दो टूक चेताया है कि 11 सितंबर 2013 को फोर लेन का काम शुरू हुआ है. 2016 में इसे तैयार कर जनता को समर्पित करना था. जिसकी निगरानी एनएचएआई के परियोजना निदेशक के नियंत्रण में थी.
सड़क निर्माण कंपनी ने सरेआम सरकार व लोगों की आंखों में धूल झोंकते हुए सारे रूट को बिना अनुमति के ही बदल दिया. जिससे टनलें बैठ गई और कइ श्रमिक दब कर मारे गए. अवैध ब्लास्टिंग से लोगों के मकान दो-फाड़ हो गए, जमीनें दरक गई, रास्ते, शमशान घाट, पीने के पानी के स्त्रोत सब स्वाहा हो गए, मछुआरों को रोजी-रोटी के लाले पड़ गए.
भाखड़ा बांध जैसी राष्ट्रीय धरोहर को जबरन बंद किया जा रहा है. अवैध डंपिंग से ग्रिनरी को खत्म किया जा रहा है, लेकिन कहीं भी इन गंभीर विषयों की नियमानुसार जांच नहीं हुई और इस सारे काम में एनएचएआई कंपनी और वन विभाग, प्रशासन के साथ नेताओं का पूरा हाथ रहा. उन्होंने कहा कि अप्रूव्ड रोड़ अलाइनमेंट प्लान को बिना भारत सरकार की मंजूरी के बदला जा सकता है और अब बताने के बावजूद भी एनएचएआई मानने को तैयार नहीं है.
वहीं, दूसरी ओर अप्रवूड रोड़ अलाइनमेंट में हुए बदलाव की नियमानुसार जांच कर मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपने की समय अवधि भी पूरी हो चुकी है व मंत्रालय द्वारा एनएचएआई के परियोजना निदेशक को जारी नोटिस की समय अवधि भी पूरी हो चुकी है. लिहाजा किसी भी सूरत में एनएचएआई को समय देना जनहित में नहीं है.