मंडी: कोरोना संकट के दौर में सरकार की कथनी और करनी में अंतर साफ दिखने लगा है. सरकार ने भरोसा दिया था कि कोरोना संकट में किसी को भी नौकरी से निकाला नहीं जाएगा, लेकिन इन आदेशों के बाद भी खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग में आउट सोर्स पर सेवाएं दे रहे 76 डाटा एंट्री ऑपरेटर्स को एक ही झटके में नौकरी से निकाल दिया गया.
ऐसे में पिछले पांच-छह सालों से विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे यह लोग बेरोजगार हो गए हैं. कोरोना काल की इस मुश्किल घड़ी में इन लोगों के सामने बिना काम के रोजी रोटी का भी संकट पैदा हो गया है. यही नहीं सरकार की बेरुखी के कारण नौकरी से निकाले गए डाटा एंट्री ऑपरेटरों को परिवार के भविष्य की भी चिंता सताने लगी है. ऐसे में जीवन के बहुमूल्य पांच से छह सालों का कीमती समय विभाग को देने के बाद भी इन आउट सोर्स कर्मचारियों को कुछ हासिल नहीं हुआ.
बता दें कि आउटसोर्स पर रखे गए यह डाटा एंट्री ऑपरेटर खाद्य आपूर्ति विभाग में उपमंडल स्तर पर खाद्य निरीक्षक कार्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे थे. इन कर्मचारियों ने सरकार की ओर से शुरू की गई हर जनकल्याणकारी योजनाओं को सफल बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया था.
यही नहीं कर्मचारियों ने कोविड-19 में भी जान की परवाह किए बिना लोगों को मुफ्त राशन बांटने में भी सरकार का सहयोग किया, लेकिन इसके बावजूद इन कर्मचारियों को पुरस्कृत करने के बजाए उल्टा नौकरी से ही निकाल दिया है, जो इन कर्मचारियों के साथ एक बड़ा अन्याय है. ऐसे में विभाग से निकाले गए इन कर्मचारियों की नजरें अब फिर से सरकार पर टिकी हैं.