मंडी: हिमाचल में खाद का संकट गहरा गया है, जिससे लाखों किसानों और बागवानों की चिंता बढ़ गई है. प्रदेश में 12 लाख के करीब किसानों और बागवानों को रबी सीजन में बिजाई के लिए व सेब के बगीचों में डालने के लिए 15:15 और 12:32:16 खाद की आवश्यकता है, जिसके लिए किसान सोसाइटियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन पिछले करीब एक महीने से किसानों और बागवानों को खाद नहीं मिल रही है. (Fertilizer crisis in Himachal)
उधर खाद की कमी की वजह से हिमफेड के गोदाम अभी खाली पड़े हैं. ऐसे में किसानों के सामने भी समय पर मटर, आलू व गेहूं आदि बिजाई की समस्या खड़ी हो गई है. इसी तरह से सर्दियों के मौसम में बारिश होते ही बगीचों के काम भी शुरू हो जाएगा. जिसके लिए बागवानों को सेब के पौधों में खाद डालने के लिए सप्लाई का इंतजार है. इस तरह से खाद उपलब्ध न होने से किसानों और बागवानों के सामने फसल की अच्छी पैदावार लेने का भी संकट पैदा हो गया है. वहीं, केंद्र की मोदी सरकार किसानों और बागवानों की आय दोगुना करने का दावा कर रही है, लेकिन सवाल है कि समय पर खाद न मिलने से भला कैसे किसानों की आय दोगुनी होगी. (Himfed godowns in Himachal)
सरकार ने नहीं किया 12:32:16 का आवंटन:प्रदेश में हिमफेड के पास 12:32:16 खाद की करीब 5200 मिट्रिक टन की डिमांड है, लेकिन सरकार की तरफ से आवंटन न होने की वजह से अभी तक खाद का सप्लाई ऑर्डर जारी ही नहीं हुआ है. इसी तरह से प्रदेश में 15:15 खाद की भी करीब 2600 मिट्रिक टन की आवश्यकता है. हालांकि इसके लिए हिमफेड ने सप्लाई ऑर्डर जारी कर दिया है. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में हिमफेड के होलसेल गोदाम में 15:15 खाद उपलब्ध हो जाएगी. प्रदेश भर में हिमफेड के 85 होलसेल के गोदाम हैं.
इन दिनों मटर, गेहूं, आलू जैसी फसलों के साथ-साथ सेब को खाद की जरूरत होती है. सेब हिमाचल की आर्थिकी का मुख्य जरिया है. लगभग 5 हजार करोड़ की सेब आर्थिकी के लिए इन दिनों बर्फबारी से पहले बगीचों में खाद डाली जाती है. लेकिन खाद न मिलने के कारण बागवान बहुत परेशान हैं. (Himachal economy depends on apple)