मंडी: करसोग में आयोजित होने वाला जिला स्तरीय प्रसिद्ध माहूंनाग मेला वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की भेंट चढ़ गया है. हर साल 14 मई से 18 मई तक चलने वाला मेला कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जारी कर्फ्यू की वजह से आयोजित नहीं किया जा रहा है.
उपमंडल के तहत सवा माहूं पंचायत में लगने वाला ये पांच दिवसीय मेला माहूंनाग की उत्पत्ति के समय से सदियों वर्ष पहले आरंभ हुआ था. इसी पंचायत की चोटी पर प्रसिद्ध मूल माहूंनाग का मंदिर है. प्रदेश सहित देश के कोने कोने से श्रद्धालु नाग देवता से मन्नत मांगने के लिए मेले में पहुंचते थे.
अन्न, धन व पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूर्ण करने वाले नाग देवता के दर्शन के पांच दिनों तक मेला ग्राउंड श्रद्धालुओं से खचा खच भरा रहता था. मेला में दुकानें लगाने के लिए दूर-दूर से कारोबारी माहूंनाग पहुंचते थे. दो से तीन दिन पहले ही मेला ग्राउंड में दुकानें सजनी शुरू हो जाती थी.
मन्दिर कमेटी के मुताबिक मेले में लाखों का कारोबार होता था. इस दौरान नाग देवता को भी लाखों का चढ़ावा चढ़ता था, ऐसे में वित्तीय संकट के इस मुश्किल दौर में मेला आयोजित न होने से कारोबारियों को बड़ा झटका लगा है.
नलवाड़ मेले में भी नहीं गए माहूंनाग देवता:
देश मे कोरोना संकट को देखते हुए इस बार मूल माहूंनाग सुंदरनगर में आयोजित होने वाले नलवाड़ मेले में भी नहीं गए. प्रदेश में कोरोना कोरोना संक्रमण के चलते लगे कर्फ्यू के कारण प्रशासन ने नलवाड़ मेले को स्थगित कर दिया था. इस मेले में विभिन्न जगहों से 151 देवता पहुंचते थे. मान्यता है कि सुकेत रियासत के राजा लक्ष्मण सेन ने पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए मेला लगाया था
सुंदरनगर में माहूंनाग देवता को बहुत माना जाता है. इस बार नलवाड़ मेला न होने से श्रद्धालु माहूंनाग देवता के दर्शन नहीं कर पाए थे. मंदिर कमेटी के प्रधान संतराम का कहना है कि कोरोना वायरस को देखते हुए पांच दिवसीय मेला इस बार आयोजित नहीं होगा. हालांकि देश व प्रदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ये निराशाजनक होगा, लेकिन कोरोना न फैले इस लिए ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.