करसोग: बिजली बोर्ड के कर्मचारीयों ने बिजली विधेयक-2020 को वापिस लेने और रिक्त पड़े पदों नियमित तौर पर भरे जाने को लेकर धरना प्रदर्शन किया. यहां बुधवार को कर्मचारियों ने सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थायी नीति बनाने, वर्ष 2014 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के पदोन्नति नियम बनाने, समान काम पर समान वेतन देने व पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने को लेकर भी नारेबाजी की.
करसोग के पुराना बाजार में किए गए इस प्रदर्शन में 200 से अधिक कर्मचारियों सहित उपभोक्ताओं ने हिस्सा लिया. इस मौके पर बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने कहा कि आजादी के बाद आम जनता को सरकारी खर्च पर या कम रेट पर बिजली जैसी बुनियादी सुविधा को मुहैया करवाने और औद्योगिक क्रांति लाने के लिए विद्युत आपूर्ति अधिनियम 1948 के तहत बिजली बोर्डों का गठन कर देश भर में विद्युतीकरण की मुहिम को तीव्र गति से चलाया गया.
कॉरपोरेट घरानों को पहुंचाया जा रहा फायदा
हिमाचल बिजली बोर्ड ने वर्ष 1988 में सबसे पहले सौ फीसदी विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल किया और अन्य राज्यों ने भी क्रमवद्ध तरीके से इस लक्ष्य को प्राप्त किया, लेकिन आज बिजली बोर्ड को घाटे का सौदा बता कर बडे़ कॉरपोरेट घरानों के हवाले किया जा रहा है.
हालांकि, हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटिड पिछले तीन सालों से लगातार मुनाफा अर्जित कर रहा है. इसी तरह विभिन्न राज्यों की सरकारी कंपनियां भी अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन मात्र बड़े कॉरपोरेट घरानों को ही फायदा पहुंचाने के लिए बिजली का निजीकरण किया जा रहा है.