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परखोल घाटी के देव लक्ष्मीनारायण की कोठी की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न - Dev Lakshminarayan temple saraj

देवता लक्ष्मी नारायण की नव निर्मित कोठी (देवालय) की प्रतिष्ठा परंपरगत तौर पर आयोजित की गई. देव कोठी के निर्माण में लगभग 2 सालों के समय लगा है. प्रतिष्ठा के लिए देवालय को भव्य रूप से सजाया गया. दो दिन तक चले प्रतिष्ठा कार्यक्रम के अंतिम दिन शुक्रवार को धाम का भी आयोजन किया गया.

Dev Lakshminarayan temple
देव लक्ष्मीनारायण की कोठी

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Published : Dec 4, 2020, 6:34 PM IST

सराज/मंडी: सराज हल्के की परखोल घाटी के देवता लक्ष्मी नारायण की नव निर्मित कोठी (देवालय) की प्रतिष्ठा परंपरगत तौर पर आयोजित की गई. देवता के कोठी प्रवेश से पहले आध्यात्मिक रूप से कई रस्मों को अंजाम दिया गया.

इस दौरान वाद्य यंत्रों की धुन के बीच जब लक्ष्मी नारायण ने अपने मजाओं स्थित नव निर्मित मंदिर में प्रवेश किया तो भारी शीत लहर के बावजूद लोगों ने भावनात्मक रूप से इस पल का अभिवादन किया. स्थानीय लोगों ने बताया कि देवता की पुरातन कोठी काफी जीर्ण शीर्ण अवस्था में थी, जिस कारण नई कोठी का निर्माण करना पड़ा.

देव लक्ष्मीनारायण

निर्माण में लगा लगभग 2 सालों का समय

देव कोठी के निर्माण में लगभग 2 सालों के समय लगा है. देवालय में ज्यादातर लकड़ी का प्रयोग किया गया है. सराज के काष्ट कलाकारों द्वारा निर्मित इस कोठी की भव्य नक्काशी भी की गई है. मंदिर के भवन का निर्माण काष्ट कुणी शैली में किया गया है. मंदिर की छत पर सराज में ही निकलने वाले काले पत्थर के स्लेट का प्रयोग किया गया है. अंतिम भाग में लगभग 1 दर्जन छोटी बड़ी छतों का निर्माण किया गया है, जिसमें विशुद्ध रुप से स्थानीय क्लीपर ब्रांड स्लेट का प्रयोग किया गया है.

देव लक्ष्मीनारायण की कोठी

अंतिम दिन धाम का आयोजन

प्रतिष्ठा के लिए देवालय को भव्य रूप से सजाया गया. दो दिन तक चले प्रतिष्ठा कार्यक्रम के अंतिम दिन शुक्रवार को धाम का भी आयोजन किया गया. देव कारिंदों ने बताया कि पूर्व समारोह में सरकार के नियमों का पूरा पालन किया गया.

परखोल घाटी के संपूर्ण क्षेत्र में पूर्व में देव लक्ष्मीनारायण का यह पुराना देव रथ ही आस्तित्व में था, लेकिन हारियानों के मध्य विवाद के चलते इस क्षेत्र में एक अन्य देव रथ का भी निर्माण किया गया है. बता दें कि कुछ वर्ष पूर्व विवादों के चलते देवता के मोहरे की पूजा औट स्थित पुलिस थाने के भीतर काफी वर्षों तक होती रही है. बरहहाल, देव कोठी के आध्यात्मिक कार्यक्रम से पूरी परखोल घाटी उत्साहित है.

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