मंडी: कोरोना महामारी से निपटने के लिए प्रदेशभर में कार्यरत आशा वर्कर्स इस समय बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेवारी निभा रही हैं. घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने वाली आशा वर्करों का आरोप है कि प्रदेश सरकार पर उनकी सुरक्षा व सुविधाओं को लेकर गंभीर नहीं है.
हिमाचल प्रदेश आशा वर्कर संघ की प्रदेश अध्यक्ष अंजना कुमारी ने कहा कि विभिन्न विभागों व प्रशासन द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बखूबी निभा रही हैं. संसाधनों के अभाव में आशा वर्करों को फील्ड में काम करते वक्त कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्रधान ने कहा कि अपनी जान जोखिम में डालकर आशा वर्कर्स घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं. बाहरी राज्यों से आए लोगों को 14 दिन के पृथकवास में रहने के लिए कहा जा रहा है और उनपर कड़ी नजर भी रखी जा रही है.
सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए प्रदेश प्रधान ने बताया कि छह मई को उनकी एक आशा वर्कर सदस्य सपना हमीरपुर जिले के भरेड़ी में शाम पांच बजे एक घर में कोविड-19 का पोस्टर चिपका रही थी. इस दौरान आशा वर्कर पर कुत्ते ने हमला कर दिया और दोनों हाथों को बुरी तरह काट लिया. इसके अलावा भी कई जगहों पर आशा वर्करों को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है. घरों में पूछताछ व पोस्टर चिपकाते वक्त कई लोग इस महामारी की गंभीरता को न समझते हुए आशा वर्करों के साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं. ऐसे में आशा वर्कर्स असुरक्षित महसूस कर रही हैं.
आशा वर्करों की मांग है कि सरकार व प्रशासन को उनकी सुरक्षा के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. प्रदेश प्रधान ने सरकार से आग्रह किया कि आशा वर्करों के मासिक मानदेय को बढ़ाया जाए. सरकार आशा वर्करों को सिर्फ आधी प्रोत्साहन राशि दे रही है. विभाग को आशा वर्करों के लिए एक स्थाई पॉलिसी बनानी चाहिए, ताकि उनके हित सुरक्षित हो सकें.
अंजना कुमारी ने कहा कि की पंजाब सरकार की तर्ज पर हिमाचल सरकार को आशा वर्करों को अतिरिक्त भत्ता देना चाहिए. इसके अलावा भारत सरकार ने आशा वर्करों का जीवन बीमा करने का ऐलान किया है और प्रदेश सरकार इसकी अधिसूचना जारी करे. अन्य कर्मचारियों की तरह आशा वर्करों को भी दो गुणा भत्ता दिया जाना चाहिए.