मंडी: आजकल दस रुपये की चीज खरीदनी हो या दस हजार रुपये की, ज्यादातर लोग डिजिटल ट्रांजेक्शंस को पसंद करते हैं. अपने स्मार्ट फोन से एक क्यूआर कोड स्कैन किया, रकम भरी और हो गई पेमेंट. इससे ना एटीएम की दौड़ लगानी पड़ती है और ना ही फुटकर की चिंता करनी होती है, लेकिन पेमेंट करने का ये नया तरीका जितना आसान है, उतना ही रिस्की भी है क्योंकि आजकल साइबर क्रिमिनल ऐसे पेयर्स को शिकार बनाने के लिए घात लगाए बैठे हैं.
जितनी तेजी से तकनीकी का विकास हुआ है उतनी ही तेजी से तकनीकी आधारित फ्रॉड भी हर जगह अपना पैर पसार रहे हैं. साइबर अपराधी लगातार नए नए प्रयोग कर लोगों के खातों में सेंध लगा रहे हैं. मंडी जिला में पिछले दिनों नए तरीके से व्यक्ति के खाते से पैसे निकालने का मामला सामने आया है.
जिला में एक व्यक्ति को टीवी फायर स्टिक में चल रही खराबी को दुरुस्त करवाने की ऑनलाइन हेल्प लेना बहुत महंगा पड़ गया, फायर स्टिक ठीक करने वालों ने धोखे से ओटीपी ले लिया और व्यक्ति के खाते से 4 लाख 15 हजार निकाल लिए, जिसकी शिकायत शिकायतकर्ता लेखराज शर्मा निवासी सौली खड्ड ने पुलिस थाना सदर में दर्ज करवाई है, शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
क्या कहना है शिकायतकर्ता का?
शिकायतकर्ता का कहना है कि उसकी फायर टीवी स्टिक कुछ समय से काम नहीं कर रही थी और गूगल से सर्च कर उसने अमेजन कॉल सेंटर का नंबर ढूंढा जिसे डायल करने के बाद उसने अमेजन सेंटर के प्रतिनिधि से बात की, प्रतिनिधि ने इस समस्या को संबंधित ऑपरेटर को साझा किया, ऑपरेटर ने ऑनलाइन समस्या के समाधान का आश्वासन दिया और कुछ अहम जानकारियां हासिल करने के बाद बातों ही बातों में ओटीपी हासिल कर शिकायतकर्ता के खाते से 4 लाख 15 हजार निकाल लिए.
OTP से कैसे हो सकती है धोखाधड़ी?
ठगों का सबसे पहला टारगेट यही होता है कि वो व्यक्ति का ओटीपी हासिल करें, क्योंकि ओटीपी हासिल करने के बाद व्यक्ति के बैंक अकाउंट से सारी राशि निकाल सकते हैं.
क्या करें, क्या ना करें ?