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मंडी सीट पर पक रही चुनावी खिचड़ी, इस बार कहां चढ़ेगी काठ की हांडी, जानें यहां का इतिहास

उत्तरी भारत की चर्चित लोकसभा सीट मंडी पर भाजपा ने वर्तमान सांसद रामस्वरूप शर्मा पर ही भरोसा जताया है तो दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए सुखराम के पौत्र आश्रय शर्मा को पार्टी ने टिकट दिया है.

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Published : Apr 19, 2019, 5:28 PM IST

Updated : Apr 19, 2019, 5:56 PM IST

मंडीः इस चुनावी समर में अगर हिमाचल की किसी लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा राजनीतिक उठा-पटक देखने को मिली तो वो मंडी संसदीय सीट में रही. यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे सुखराम ने अपने पौत्र आश्रय शर्मा को टिकट दिलाने के लिए एक बार फिर कांग्रेस का दामन थाम लिया.

उत्तरी भारत की चर्चित लोकसभा सीट मंडी पर भाजपा ने वर्तमान सांसद रामस्वरूप शर्मा पर ही भरोसा जताया है तो दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए सुखराम के पौत्र आश्रय शर्मा को पार्टी ने टिकट दिया है.

हिमाचल की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने चौथी बार पार्टी बदलकर नई दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के घर पर अपने पोते आश्रय शर्मा के साथ कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी. काफी दिनों तक मंडी सीट पर टिकट को लेकर मचे इस घमासान के बीच पंडित सुखराम अपने पोटे को टिकट दिलाने में कामयाब रहे.

मंडी सीट की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर एक रिपोर्ट.

बता दें कि सुखराम के बेटे और आश्रय के पिता अनिल शर्मा भाजपा सरकार में ऊर्जा मंत्री थे लेकिन अब उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. वे डेढ़ साल पहले ही विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. वहीं, बेटे को टिकट दिए जाने के बाद पिता अनिल शर्मा ने 12 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया है जिसे मुख्यमंत्री जयराम ने स्वीकार कर लिया है.

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लोकसभा की हॉट सीट मंडी कई सियासी दिग्गजों की पीठ भी लगा चुकी है. सीएम जयराम ठाकुर, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम, महेश्वर सिंह, कौल सिंह और वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मंडी सीट से शिकस्त मिल चुकी है. मंडी सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. 17 बार हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 12 बार यहां विजय पताका फहराई है.

मंडी सीट से जयराम ठाकुर हारे हैं चुनाव
2013 में हुए लोकसभा के उपचुनाव में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह ने एक लाख से ज्यादा मतों से हराकर कांग्रेस को बड़ी जीत दिलाई थी. इस दौरान लोकसभा से इस्तीफा देकर वीरभद्र सिंह विधानसभा चुनाव लड़े थे और जीतकर छठी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.

बीते तीन लोकसभा चुनाव
वर्ष पार्टी उम्मीदवार

  • 2004 प्रतिभा सिंह कांग्रेस (जीत)
  • महेश्वर सिंह बीजेपी
  • 2009 वीरभद्र सिंह कांग्रेस (जीत)
  • महेश्वर सिंह बीजेपी
  • 2014 राम स्वरूप शर्मा बीजेपी (जीत)
  • प्रतिभा सिंह कांग्रेस

मंडी सीट पर मौजूदा राजनीतिक स्थिति
अगर मंडी सीट पर मौजूदा राजनीतिक स्थिति की बात की जाए क्षेत्रफल के हिसाब से देश के दूसरे सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र में चुनावी माहौल इन दिनों रोचक बना हुआ है. प्रदेश का 64 प्रतिशत भू-भाग इसी क्षेत्र का हिस्सा है. कांग्रेस वर्तमान लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार के अधूरे वादों को भुनाने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा मोदी व जयराम सरकार की उपलब्धियों के साथ चुनावी मैदान में उतरी है.

मंडी सीट पर एक तरफ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम के लिए भी यह चुनाव अहम है. मंडी संसदीय सीट की बात करें तो इसमें 17 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इन क्षेत्रों में भरमौर, लाहौल स्पिति, मनाली, कुल्लू, बंजार, आनी, करसोग, सुंदरनगर, नाचन, सराज, जोगिंद्रनगर, द्रंग, मंडी, बल्ह, सरकाघाट, रामपुर और किन्नौर.

मौजूदा समय मे 17 में से 13 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा विधायक हैं. जबकि 3 में कांग्रेस ने कब्जा जमाया है. एक सीट में निर्दलीय विधायक हैं, जिन्होंने अपना समर्थन भी भाजपा को दिया है.

ऐसे में भाजपा 14 सीटों व कांग्रेस मात्र 3 सीटों में काबिज है. जबकि मंडी जिला में 10 सीटों पर कांग्रेस का आंकड़ा शून्य है. ऐसे में कांग्रेस के लिए लोस चुनाव चुनौती बना हुआ है. 2014 लोस चुनाव में यह स्थिति उल्टी थी. जिसमें 10 सीटों में कांग्रेस, 6 में भाजपा व 1 पर हिलोपा विधायक थे. मंडी जिला में 5-5 सीटों पर भाजपा कांग्रेस बराबर थे.

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आंकड़ों पर गौर करें तो 2004 से 2014 के उपचुनाव तक यहां लगातार कांग्रेस का दबदबा रहा है. हालांकि 2014 के लोस चुनाव में मोदी लहर के सामने प्रतिभा सिंह को मंडी सीट से हार का सामना करना पड़ा और रामस्वरूप शर्मा ने मंडी से संसद की दहलीज पार की.

कांग्रेस जिला प्रवक्ता आकाश का कहना है कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी जनता से लोकलुभावने वादे कर सत्ता में आ गई थी, लेकिन 2014 में जनता से किए वादों में से अधिकत्तर वादों का कुछ नहीं हुआ है. ऐसे में कांग्रेस मुद्दों के साथ जमीनी स्तर पर जनता के बीच जाएगी और भाजपा को मात देगी.

वहीं, भाजपा जिला महामंत्री चेतराम का कहना है कि जिस तरह 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर थी उसी तरह इस बार भी मोदी लहर कायम है. केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की जयराम सरकार ने काम किए हैं और उन उपलब्धियों के आधार पर एक लाख मतों से भाजपा प्रत्याशी की जीत होना तय है.

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राजनीतिक विश्लेषक पंकज पंडित का कहना है कि उत्तरी भारत की चर्चित सीट मंडी में बड़े नामों के बीच मुकाबला हो रहा है. राम नाम बीच हो रहे मुकाबले में 'छोटी काशी' की जनता किस पर विश्वास जताती है यह तो समय ही बताएगा. 2014 की बात करें तो हिमाचल में भ्रष्टाचार, रेल, फोरलेन समेत अन्य विकास कार्य जैसे कई जनहित के मुद्दे गरमाये थे.

पिछले 17 लोकसभा चुनावों में संसदीय सीट की स्थिति

  • 1952 कांग्रेस
  • 1957 कांग्रेस
  • 1962 कांग्रेस
  • 1967 कांग्रेस
  • 1971 कांग्रेस
  • 1977 बीएलडी (भारतीय लोक दल)
  • 1980 कांग्रेस
  • 1984 कांग्रेस
  • 1989 कांग्रेस
  • 1991 कांग्रेस
  • 1996 कांग्रेस
  • 1998 बीजेपी
  • 1999 बीजेपी
  • 2004 कांग्रेस
  • 2009 कांग्रेस
  • 2013 कांग्रेस
  • 2014 बीजेपी

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Last Updated : Apr 19, 2019, 5:56 PM IST

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