सरकाघाट: हिमाचल प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक ने अपनी मांगों के बारे में मीडिया व सोशल मीडिया में सरकार के खिलाफ बयान देने वाले कर्मचारियों की सूची बनाने का फरमान जारी किया है. विभाग के इस फरमान का माकपा ने कड़ा विरोध जताया है. माकपा नेता व पूर्व जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने इसे बेहद शर्मनाक और स्वतंत्रता का हनन करने वाला बताया है.
कर्मचारियों की मांगों को दबाने का प्रयास
माकपा नेता भूपेंद्र सिंह ने कहा कि अपनी मांगों के बारे में आवाज उठाने को तानाशाही तरीके से दबाने का प्रयास किया जा रहा है. पिछले दिनों से सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने और कोरोना संक्रमण की रोकथाम के बारे में सरकार के कई फैसलों को लेकर मांग कर रहे हैं. साथ ही इसे लेकर मीडिया में भी बयान दे रहे हैं. भाजपा ने सत्ता में आने से पहले कर्मचारियों से सत्ता में आते ही पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने साढ़े तीन साल पूरे होने के बावजूद भी इस पर चुप्पी साध रखी है. इस कारण वर्ष 2003 के बाद लगे कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया है.
ओल्ड पेंशन योजना की बहाली की आस
माकपा नेता ने कहा कि कर्मचारियों को हिमाचल दिवस के मौके पर सीएम जयराम की ओर से घोषणा होने की उम्मीद थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा. साथ ही विपक्षी दलों को खाल में रहने की धमकियां देते रहे. इसके चलते प्रदेश के लाखों कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन योजना पर घोषणा की आस पर पानी फिर गया है.