सरकाघाट/मंडी: पंचायत चुनाव के लिए एनओसी लेने के लिए खंड कार्यालय सरकाघाट में बेकाबू हुई भीड़ का जब प्रशासन को पता चला तो एडीएम स्वयं मौके पर पहुंचे. उन्होंने वहां स्वयं मोर्चा संभालते हुए तुरंत लोगों को भीड़ से बाहर होने को कहा और सामाजिक दूरी कायम की. साथ लोगों को मास्क लगाने और दूर दूर रहने की हिदायतें दीं.
इसके साथ ही मौके पर ही अतिरिक्त स्टाफ को लोगों के काम निपटाने के लिए लगाया गया. एसडीएम ने लोगों से कहा कि जो भी नियम तोड़ेगा पर कड़ी कार्रवाई होगी और वह स्वयं यहां का निरीक्षण करते रहेंगे. इस दौरान खंड विकास अधिकारी और अन्य स्टाफ भी एसडीएम के साथ लोगों में उचित दूरी स्थापित करते हुए देखे गए.
खंड विकास कार्यालय सरकाघाट बता दें कि खंड विकास कार्यालय सरकाघाट में सोमवार और मंगलवार को कोरोना नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई. पंचायत चुनाव की एनओसी लेने के लिए उम्मीदवारों और उनके समर्थकों की भीड़ देखकर सभी हैरान रह गए. कोरोना काल में सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक 50 लोगों के लिए जमा होने की अनुमति हैं, लेकिन इस दौरान एक साथ सैकड़ों लोग जमा दिखाई दिए.
भीड़ को रोकने में बेबस सरकारी अधिकारी
हैरानी की बात यह है कि इन लोगों को एनओसी के लिए मारामारी करते हुए देखा गया और एक दूसरे से कोई भी दूरी नहीं थी, जबकि कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक कम से कम दो गज की दूरी बहुत जरूरी हैं. सभी एक दूसरे से चिपके हुए दिखाई दिए. खंड विकास के अधिकारी और कर्मचारी इस भीड़ को रोकने में बेबस दिखाई दिए.
केवल कागजों तक ही सीमित गाइडलाइन
दो दिनों से खंड कार्यालय में इतनी भीड़ उमड़ रही है, लेकिन पुलिस भी यहां पर नहीं पहुंची और कोई भी इस भीड़ को रोकने में आगे नहीं आया. ऐसे में सरकार और प्रशासन की कमजोरियां सामने आ चुकी हैं कि गाइडलाइन केवल कागजों तक ही है. इसको लागू करने में पुलिस और प्रशासन कुछ नहीं करता है.
सैकड़ों लोगों का इकट्ठा होना खतरनाक
इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार शर्मा, राष्ट्रीय किसान संगठन के बलद्वाड़ा तहसील अध्यक्ष, समाजसेवी पवन कुमार ने सरकार और प्रशासन से कहा कि चुनावों के दौरान इस तरह सैकड़ों लोगों का इकट्ठा होना बहुत घातक है. उन्होंने सरकार से कोरोना गाइडलाइन को बेहतर तरीके से लागू करने की मांग की है. इस बारे में खंड विकास अधिकारी तिवेंद्र चनौरिया ने कहा कि लोगों को उचित सामाजिक दूरी रखने और मास्क लगाने की बार-बार प्रार्थना की गई, लेकिन वह नहीं मान रहे थे.