मंडी: कोरोना वायरस ने बहुत से लोगों को जिंदगी भर के जख्म दिए हैं. जो शायद कभी नहीं भर पाएंगे. हाल ही में कोविड-19 से सरकाघाट का युवक काल का ग्रास बन गया. जरा सोचिए क्या हाल होगा उस मां का जो इस वायरस के आगे इतनी बेबस हो गई कि अपने मृत बेटे का आखिरी बार चेहरा भी नहीं देख पाई.
बता दें कि वह महिला खुद भी कोरोना संक्रमित थी. बेटे की मौत के बाद ऐतिहातन तौर पर महिला और उसके पूरे परिवार की गैर मौजूदगी में ही युवक का अंतिम संस्कार कर दिया गया था.
सरकाघाट की कोरोना वायरस संक्रमित महिला की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उन्हे घर वापिस भेज दिया है. अस्पताल से बाहर निकलते ही बेटे की मृत्यु के गम में मां जोर-जोर रोई. भले की महिला कोरोना से जिन्दगी की जंग जीत ली, लेकिन अपने बेटे को खोने का गम शायद ये मां कभी नहीं भुला पाएगी.
महिला को अस्पताल से खुशी-खुशी विदा करने आए लोगों और स्वास्थ्य विभाग की टीम सहित प्रशासनिक अधिकारीयों की आंखों से आंसू छलक गए. जिला स्वास्थ्य अधिकारी दिनेश ठाकुर ने कहा कि कोरोना संक्रमित पाए जाने पर 9 मई को शिमला के मशोबरा से अभिलाषी इंस्टीट्यूट चैलचौक को शिफ्ट कर दिया गया था. इनके साथ प्रताप सिंह टेस्ट में भले ही नेगेटिव आए थे, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें अपनी निगरानी में रखने के आदेश दिए हैं.
एसडीएम गोहर अनिल भारद्वाज ने कहा कि दोनों कोरोना मरीजों को स्वस्थ होने पर सभी बधाई के पात्र हैं. उन्होंने कहा कि इन्हें रविवार को घर भेजा जा रहा है. उपमंडल के सभी विभागों द्वारा मिले भरपूर सहयोग के लिए उपमंडलाधिकारी गोहर ने सभी का धन्यवाद किया है.
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