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सीएम के ड्रीम प्रोग्राम जनमंच की 'हकीकत', एक गांव से भेजी 6 डिमांड एक भी नहीं हुई पूरी

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी की करसोग तहसील के माहूंनाग में पिछले साल 1 जुलाई को स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार की अध्यक्षता में आयोजित हुए जनमंच कार्यक्रम में दूरदराज के गांव मगान से आए लोगों ने अपनी 6 डिमांड रखी थी, लेकिन जनमंच कार्यक्रम को समाप्त हुए एक साल बीतने को आया है, अभी तक लोगों की एक भी मांग पूरी नहीं हुई हैं.

गांव मगान के निवासी

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Published : Jun 2, 2019, 11:28 PM IST

करसोग: जयराम सरकार का ड्रीम प्रोग्राम जनमंच अपने ही गृह जिले में पिट गया है. प्रदेश की भाजपा सरकार बेशक जनमंच कार्यक्रमों को अपना मास्टर स्ट्रोक मानती है, लेकिन इन कार्यक्रमों का एक कड़वा सच भी है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी की करसोग तहसील के माहूंनाग में पिछले साल 1 जुलाई को स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार की अध्यक्षता में आयोजित हुए जनमंच कार्यक्रम में दूरदराज के गांव मगान से आए लोगों ने अपनी 6 डिमांड रखी थी, लेकिन जनमंच कार्यक्रम को समाप्त हुए एक साल बीतने को आया है, अभी तक लोगों की एक भी मांग पूरी नहीं हुई है.

मंडी जिला के आखिरी कोने में सतलुज नदी के किनारे बसे इस दूरदराज के गांव में आजादी के 7 दशक बाद भी लोग बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. मगान गांव के ठाकुर सेन वर्मा का कहना है कि हिमाचल सरकार जनमंच कार्यक्रम शुरू कर नया प्रयास किया था. जिसका आयोजन भी अच्छा रहा और हमें लगा कि इससे लोगों के काम आसानी से होंगे. इसको देखते हुए उन्होंने भी मगान गांव की 6 मांगें रखी थीं, जिसमें से अभी तक एक भी पूरी नहीं हुई है.

गांव मगान के निवासी

ये थी मगान के लोगों की 6 मुख्य मांगें
- सईधार से मगान लिए पेयजल योजना को सुचारू रूप से चलाने की मांग.
-तत्तापानी शाकरा बिंदला सड़क को वाया जकलीन मगान होकर परलोग तक निकलना.
-मगान गांव में राजकीय प्राथमिक पाठशाला को दोबारा खोलना, जो स्कूल वर्ष 2007-2008 में बंद हो गया था.
-मुहाल मगान के लिए पटवार सर्कल परलोग से बदलकर सरतेहोला करना.
-मुहाल मगान, जकलीन, गलेड, बलायोग के लिए आंगनबाड़ी केंद्र खोलना.
-मुहाल मगान, जकलीन में कम वोल्टेज की 18 साल पुरानी चली आ रही मांग.
सड़क से आठ किलोमीटर दूर है मगान

बता दें कि मगान गांव में लोग आज भी बहुत कठिन जीवन जीने को मजबूर हैं ये गांव मंडी और शिमला जिला के बीच बहने वाली सतलुज नदी से साथ मंडी जिला के कोने में पड़ता है. यहां तक पहुंचने के लिए अभी तक कोई भी सड़क सुविधा नहीं है. इस गांव तक पहुंचने के लिए परलोग में बस से उतरने के बाद 8 किलोमीटर पैदल सफर तय करना पड़ता है. इतना हीं नहीं गांव में जो स्कूल खुला था वह भी सरकार ने 11 साल पहले बंद कर दिया. जिससे बच्चों की पढ़ाई में बहुत परेशानी होती है.

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