मंडी: तीन धर्मों की संगम स्थली रिवालसर में बुधवार को छेश्चू मेले के दूसरे दिन छम नृत्य का आयोजन किया गया. छम नृत्य के जरिए गुरु पद्मसंभव के आठों रूपों को दिखाया गया. इन आठ रूपों में उन्होंने क्या क्या रूप धारण किया इसके बारे में भी दिखाया गया.
छेश्चू मेला में हुआ छम नृत्य छम नृत्य देखने के लिए बाहरी राज्यों सहित विदेशी भी रिवालसर पहुंचे हैं. रिवालसर में छेश्चू मेला गुरु पद्मसंभव के जन्मदिन अवसर पर मनाया जाता है. बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह आकर्षण का केंद्र होता है.
छेश्चू मेला के दूसरे दिन छम नृत्य के बाद गुरू पदमसंभव की पालकी की रिवालसर झील की परिक्रमा करवाई गई. गुरु पद्मसंभव निगमा मंदिर रिवालसर के प्रधान टीएस नेगी ने बताया कि छेश्चू मेला के दूसरे दिन छम नृत्य हुआ. उन्होंने बताया कि पांच मार्च को ध्वजारोहण होगा.
इसके बाद पवन लामा दीर्घायु के लिए प्रवचन देंगे. जिसका सभी लोग इंतजार कर रहे हैं. रिवालसर तीन धर्मों हिंदू, बौद्ध व सिख की संगम स्थली है. यहां का इतिहास लोमश ऋषि, गुरु गोबिंद सिंह और गुरु पद्मसंभव से जुड़ा है. रिवालसर धार्मिक पर्यटन के लिए देश व विदेश में प्रसिद्ध है.
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