करसोगःप्रदेश में भले ही अन्नदाताओं व दूध उत्पादकों की आय दोगुनी करने के लाखों दावे किए जा रहे हों, लेकिन जमीनी स्तर पर सच्चाई इसके विपरीत है. इसका बड़ा उदाहरण करसोग में देखने को मिल रहा है. यहां मिल्क चिलिंग सेंटर ने पशुपालकों का दूध खरीदने में असमर्थ हो गए हैं.
गरीब परिवारों को उठाना पड़ रहा भारी नुकसान
उपमंडल करसोग के विभिन्न क्षेत्रों में दूध का उत्पादन बढ़ने से मिल्क चिलिंग सेंटर के पास कंटेनरों की भारी कमी पड़ गई है. यही नहीं दूध की मात्रा बढ़ने से मिल्क चिलिंग सेंटर में लगे बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) कम क्षमता भी आड़े आ गई है, जिसको देखते हुए अब पशुपालकों से कुल मात्रा का आधा दूध ही खरीदा जा रहा है, जबकि बाकी बचे दूध को पशुपालक रोजाना वापस घर ले जाने को मजबूर है. इससे गरीब परिवारों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
रोजाना करीब 200 लीटर दूध लौटाया जा रहा वापस
लोगों ने दूध वाले पशु खरीदने के लिए बैंकों से हजारों रुपए का लोन लिया है. ऐसे में पूरा दूध न बिकने से पशुपालकों के सामने लोन की किश्त चुकाने का भी संकट खड़ा हो गया है. यहां कांडी से शाहोट रूट पर मिल्क फेडरेशन की जो गाड़ी दूध खरीदने को भेजी जा रही है. उसमें कंटेनरों की भारी कमी है, जिस कारण एक ही रूट पर पशुपालकों का करीब 200 लीटर दूध रोजाना वापस लौटाया जा रहा है, जिसका खामियाजा इस रूट के तहत पड़ने वाली 5 पंचायतों के पशुपालकों को भुगतना पड़ रहा है.
बता दें कि करसोग में करीब 1700 परिवार दूध कारोबार से जुड़े हैं. इन दिनों क्षेत्र में 7200 लीटर से अधिक दूध का उपादन हो रहा है, जबकि करसोग में मिल्क चिलिंग सेंटर में बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) की क्षमता 5500 लीटर की है.