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Published : Feb 9, 2020, 1:18 PM IST

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शिवरात्रि महोत्सव में शामिल नहीं होंगे सुकेत रियासत के प्राचीन देवी-देवता, ये है वजह

सुकेत रियासत के प्राचीन देवी-देवता मंडी में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने नहीं आएंगे. गत वर्ष आयोजित अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में सीएम जयराम ठाकुर ने शिवरात्रि महोत्सव में सुकेत रियासत के देवी-देवताओं को भी शामिल करने का ऐलान किया था, लेकिन जो प्राचीन देवी-देवता हैं उन्होंने आने की कोई हामी नहीं भरी है.

Ancient deities of Suket
शिवरात्रि महोत्सव में शामिल नहीं होंगे सुकेत रियासत के प्राचीन देवी-देवता.

मंडी: सुकेत रियासत के प्राचीन देवी-देवता मंडी में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने नहीं आएंगे. इस बात की पुष्टि सर्व देवता समिति के प्रधान शिव पाल शर्मा ने की है. बता दें कि गत वर्ष आयोजित अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में सीएम जयराम ठाकुर ने शिवरात्रि महोत्सव में सुकेत रियासत के देवी-देवताओं को भी शामिल करने का ऐलान किया था, लेकिन प्राचीन देवी-देवताओं ने महोत्सव में आने की कोई हामी नहीं भरी है.

सर्व देवता समिति के प्रधान शिवपाल शर्मा की मानें तो सुकेत रियासत में 20 से 25 प्राचीन देवी-देवता हैं और उनका अपने क्षेत्र में अलग मान-सम्मान है. शिवरात्रि में देव कमरूनाग मुख्य देवता माने जाते हैं. देव कमरूनाग की दो प्रतिमाएं हैं. एक प्रतिमा शिवरात्रि महोत्सव में आती है और दूसरी सुंदरनगर जाती है. यदि यह दोनों प्रतिमाएं मंडी में एक साथ बुलाई जाती हैं तो मान-सम्मान में दिक्कत आ जाएगी. शिवपाल शर्मा ने बताया कि आने वाले समय में यह तय होगा कि कितने देवी-देवताओं को मंडी में पंजीकृत करना है.

वहीं, सुकेत रियासत के तहत जो अन्य पंजीकृत देवी-देवता हैं, उन्होंने शिवरात्रि महोत्सव में आने के लिए आवेदन किया है. जिला भर से 80 से अधिक आवेदन देवता समिति के पास पहुंच चुके हैं, लेकिन समिति ने इन सभी के साथ यह तय किया है कि जब तक मंडी में संस्कृति सदन का निर्माण पूरा नहीं हो जाता तब तक इन्हें नहीं बुलाया जाएगा. बाद में सारे मापदंड देखकर ही देवता को मंडी में पंजीकृत किया जाएगा.

वीडियो रिपोर्ट.

बता दें कि मंडी जिला दो प्राचीन रियासतों को मिलाकर बना है. जिसमें एक मंडी और दूसरा सुकेत रियासत शामिल है. दोनों रियासतों के देवी-देवताओं का अपने-अपने क्षेत्रों में मान-सम्मान है और कभी इन देवी-देवताओं ने एक दूसरे की रियासतों में प्रवेश नहीं किया. यही कारण है कि प्राचीन काल के देवी-देवता शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने नहीं आएंगे.

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