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करसोग: लुप्त हो रही एक फसल कोदा से महिलाओं को दिए गए चाय बनाने के टिप्स - कोदा फसल करसोग न्यूज

करसोग की ऐसी ही लुप्त हो रही एक फसल कोदा है. इसकी रोटियां बहुत ही टेस्टी और पौष्टिक तत्व से भरपूर होती है, लेकिन अब इस अनाज को चाय के तौर पर भी प्रयोग किया जाने लगा है. इस बारे में उपमंडल की खादरा पंचायत के गांव नगलोग में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें महिलाओं को कोदे की चाय बनाने के टिप्स दिए गए. ये चाय शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कैल्शियम की कमी को दूर करने में किसी वरदान से कम नहीं है.

A training program was organized in village Nagalog in Karsog
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Published : Dec 3, 2020, 1:11 PM IST

करसोग: कोरोना काल के इस कठिन दौर ने लोगों को पारंपरिक अनाजों का महत्व बता दिया है. ये अनाज पौष्टिक होने के साथ स्वास्थ्य के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद होते हैं. करसोग की ऐसी ही लुप्त हो रही एक फसल कोदा है. इसकी रोटियां बहुत ही टेस्टी और पौष्टिक तत्व से भरपूर होती है, लेकिन अब इस अनाज को चाय के तौर पर भी प्रयोग किया जाने लगा है.

इस बारे में उपमंडल की खादरा पंचायत के गांव नगलोग में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें महिलाओं को कोदे की चाय बनाने के टिप्स दिए गए. ये चाय शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और कैल्शियम की कमी को दूर करने में किसी वरदान से कम नहीं है.

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चावल और गेहूं की तुलना में कई गुना अधिक कैल्शियम पाया जाता है

लोक कृषि विशेषज्ञ नेकराम शर्मा ने कोदे की चाय बनाने में प्रयोग होने वाली अन्य सामग्री की भी जानकारी दी. महिलाओं को बताया गया कि कोदा में कैल्शियम सहित फासफोरस, विटामिन बी, आयरन भरपूर मात्रा में होता है. इसमें चावल और गेहूं की तुलना में कई गुना अधिक कैल्शियम पाया जाता है.

प्रति 100 ग्राम कोदा में 370 मिलीग्राम कैल्शियम की मात्रा रहती है. ऐसे में कोदा में पाया जाने वाला कैल्शियम और फास्फोरस हड्डियों और दांतों को मजबूत करने में सहायक है. यही नहीं मधुमेह के रोगियों के लिए भी कोदा का सेवन करना चाहिए. इससे शरीर में शुगर की मात्रा कंट्रोल रहती है. इसलिए नियमित कोदे कि चाय के सेवन से कई तरह के रोगों से बचा जा सकता है.

कैसे बनाये कोदे कि चाय

कोदे की चाय एक बार में भी कई दिनों के लिए तैयार की जा सकती है. इसके लिए 250 ग्राम कोदा का आटा लें, जिसमें आठ अखरोट के पीस, 100 ग्राम मूंगफली, 50 ग्राम बादाम को कूटकर बारीक पीस लें. इसके बाद इन बारीक की गई सामग्री को कोदे के आटे में सही तरीके से मिक्स कर लें और 150 ग्राम देसी घी के साथ धीमी आंच में भून लें. इसमें फिर मीठे के लिए शक्कर मिक्स करें.

रोजाना दूध या पानी में कप में एक चम्मच मिलककर कोदे की चाय पी जा सकती है

ऐसे में रोजाना दूध या पानी में कप में एक चम्मच मिलककर कोदे की चाय पी जा सकती है. लोक कृषि विशेषज्ञ नेकराम शर्मा ने बताया कि खादरा पंचायत के नगलोग महिला मंडल की सदस्यों को कोदे कि चाय बनाने के बारे मे बताया गया. उन्होंने कहा कि कोदे कि चाय पीने से कैल्शियम की कमी दूर होती है और इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी. ऐसे में कोदे कि चाय कई तरह की बीमारियों को बचाने में सक्षम है.

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