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भाई हिरदा राम को ह्रदय में जगह नहीं दे पाई सरकारें, सालों से ट्रस्ट के लिए नहीं मिली जमीन - भाई हिरदा राम की 135वीं जयंती

स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम की 135वीं जयंती शनिवार को गरिमा पूर्ण समारोह में मनाई गई. इस मौके पर भाई हिरदा राम स्मारक समिति सदस्य, उनके परिजन, नगर परिषद अध्यक्ष सुमन ठाकुर, नगर परिषद उपाध्यक्ष विरेंद्र भट्ट सहित कई पार्षद और पदाधिकारी मौजूद रहे.

स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम
freedom fighter bhai Hirda Ram

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Published : Nov 28, 2020, 5:48 PM IST

मंडी: स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी भाई हिरदा राम की 135वीं जयंती शनिवार को गरिमा पूर्ण समारोह में मनाई गई. इस मौके पर भाई हिरदा राम स्मारक समिति सदस्य, उनके परिजन, नगर परिषद अध्यक्ष सुमन ठाकुर, नगर परिषद उपाध्यक्ष विरेंद्र भट्ट सहित कई पार्षद और पदाधिकारी मौजूद रहे.

इस मौके पर सभी ने इंदिरा मार्केट की छत पर स्थित भाई हिरदा राम की प्रतिमा पर फूलमाला अर्पित कर, शहीदों के देश की आजादी में दिए योगदान को याद किया.

आजादी दिलाने में भाई हिरदा राम का अहम योगदान

नगर परिषद अध्यक्ष सुमन ठाकुरनगर परिषद अध्यक्ष सुमन ठाकुर ने इस मौके पर कहा कि भाई हिरदा राम मंडी के ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद कर देश को आजादी दिलाने में अहम योगदान दिया. उन्होंने कहा कि भाई हिरदा राम जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और त्याग से ही आज देश आजाद हुआ है.

वीडियो.

भाई हिरदा राम ट्रस्ट के लिए जमीन मुहैया करवाए सरकार

स्वतंत्रता सेनानी हिरदा राम के पोते शमशेर सिंह ने कहा कि उनके दादाजी को मंडी में उनकी मूर्ति की स्थापना के अलावा राज्य या केंद्र सरकारों से कोई मान्यता नहीं मिली, उन्होंने कहा कि उनके दादाजी 1929 में आजीवन कारावास की सजा काट मंडी आए, लेकिन उन्हें अंग्रेज सरकार ने देश आजाद होने तक घर आने नहीं दिया गया.

स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम की मूर्ति.

उन्होंने मांग की है कि मंडी में भाई हिरदा राम ट्रस्ट बनाने के लिए सरकार उन्हें जमीन मुहैया करवा दे तो वे उनके द्वारा किए गए बलिदानों को संजोकर रख सकते हैं.

कौन थे स्वतंत्रता सेनानी भाई हिरदा राम

भाई हिरदा राम स्वतंत्रता संग्राम के महान देशभक्त और क्रांतिकारी थे. उनका जन्म 28 नवंबर 1885 को हिमाचल के जिला मंडी में हुआ था. उनके पिता का नाम गज्जन सिंह था, लाहौर बम षड्यंत्र में गिरफ्तार होने के बाद भाई हिरदा राम ने अपने आजीवन कारावास की सजा काला पानी में काटी.

जेल में भी भाई हिरदा राम ने अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखा. उन्होंने उस वक्त काला पानी में बंद स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की यातना का विरोध किया, जिसके बाद उन्हें अलग सेल में अंग्रजों ने छह फीट के एक पिंजरे में 40 दिन तक कैद किया. आज उनकी 135वीं जयंती है.

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