लाहौल स्पीति: बर्फ से लदे बारालाचा दर्रे की हालत सुधरते ही सेना ने भी पठानकोट से मनाली होते हुए लेह की राह पकड़ ली है. शनिवार को दर्जनों सेना के वाहन रसद लेकर लाहौल के जिस्पा दारचा पहुंचे. सेना का यह काफिला 16 हजार फीट से अधिक ऊंचे बारालाचा दर्रे को पार कर सीमावर्ती क्षेत्र लेह पहुंचेगा. सेना की आवाजाही को देखते हुए लाहौल-स्पीति पुलिस सहित बीआरओ भी सतर्क हो गया है.
रसद पहुंचाने का काम हुआ शुरू
बारालाचा दर्रे में सेना के वाहनों की आवाजाही को सुचारू रखने के लिए बीआरओ ने पहले ही जिंग जिंग बर व सरचू में अस्थाई कैंप स्थापित कर लिए हैं. हालांकि लेह-लद्दाख, श्रीनगर होते हुए जम्मू से जुड़ गया है लेकिन उस मार्ग की अपेक्षा मनाली-बारलाचा-लेह मार्ग अधिक सुरक्षित व सुगम है. बारलाचा दर्रे के बहाल होते और ट्रैफिक सुचारू होते ही सेना ने भी लेह-लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में रसद पहुंचाना शुरू कर दिया है.
शिंकुला दर्रा जल्द होगा बहाल