लाहौल स्पीति:हिमाचल प्रदेश में जहरीले रसायनों से कृषि क्षेत्र को मुक्त करने के लिए सरकार के द्वारा जहां काम किया जा रहा है तो वहीं, कृषि विभाग के द्वारा भी किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जा रहा है, ताकि हिमाचल प्रदेश के खेतों को जहरीले रसायनों से मुक्त किया जा सके. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाकों में जहां किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं तो वहीं, अब प्राकृतिक खेती की चमक शीत मरुस्थल में भी पहुंच गई है. शीत मरुस्थल के नाम से जाने वाले लाहौल स्पीति जिले की स्पीती घाटी में भी किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इस साल किसानों ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से मटर की फसल सफलतापूर्वक बाजारों में बेची.
नेचुरल फार्मिंग से बढ़ी किसानों की आय:स्पीति घाटी के किसानों ने इस साल मटर की 12 करोड़ रुपये की फसल बेची है और हर किसान को 4 से 5 लाख रुपये का लाभ भी मिला है. रसायन मुक्त मटर के बाजार में किसानों को अच्छे दाम मिले और किसानों ने इस बार मटर की फसल खेत में ही ₹70 से लेकर ₹90 प्रति किलो दाम तक बेची है. इससे पहले स्पीति घाटी के मटर को 40 से ₹50 प्रति किलो तक दाम मिलते थे. ऐसे में जब से किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनी है. तब से उन्हें अपने उत्पाद के अच्छे दाम मिलने लगे हैं.
किसानों को दिया गया प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण:स्पीति घाटी की बात करें तो यहां पर किसानों ने 90 हेक्टेयर भूमि में मटर की खेती की थी. जिससे करीब 1200 क्विंटल उत्पादन हुआ है. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण आत्मा प्रोजेक्ट के तहत क्षेत्र के किसानों को 2020 से ही प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने की मुहिम शुरू हुई थी. ऐसे में स्पीति घाटी के 314 किसानों ने अपना पंजीकरण किया और आत्मा परियोजना के तहत उन्हें प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया गया. परियोजना के तहत उन्हें जीवामृत व अन्य जैविक खाद तैयार करने की विधि बताई गई. ऐसे में अब स्पीती घाटी के किसान मटर के अलावा फूलगोभी, बंद गोभी, ब्रोकली, मूली, पालक का भी प्राकृतिक खेती से उत्पादन कर रहे हैं.