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अगले साल 11 करोड़ से पक्की होगी तिन्दी-भुजंड सड़क, डॉ.राम लाल मार्कण्डेय

जिला लाहौल-स्पीति में तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. राम लाल मार्कण्डेय ने तिन्दी घाटी के कुलचेहर, सलग्रां, लोहनी, भुजंड, कुठाड़ गावों का दौरा कर जनसमस्याओं का निपटारा किया. उन्होंने सभी से सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का अधिकाधिक लाभ लेने का आह्वाहन किया. वहीं, अगले साल मई में तिन्दी-भुजंड 11 करोड़ की लागत से सड़क पक्की कर के इसका उद्धघाटन किया जाएगा.

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Published : Jun 17, 2021, 9:47 PM IST

LAHAUL
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लाहौल स्पीति:तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. राम लाल मार्कण्डेय ने लाहौल के तिन्दी घाटी के कुलचेहर, सलग्रां, लोहनी, भुजंड, कुठाड़ गावों का दौरा कर जनसमस्याओं का निपटारा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि अगले साल मई में तिन्दी-भुजंड 11 करोड़ की लागत से सड़क पक्की कर के इसका उद्धघाटन किया जाएगा. प्राचीन मृकुला माता मन्दिर कुठाड़ के जीर्णोद्धार के लिए एस्टिमेट के अनुसार पैसा स्वीकृत करेंगे और रंगमंच के निर्माण के लिए जल्द ही टेंडर कर के कार्य शुरू कर देंगे.

डॉ. मारकंडा ने जानकारी देते हुए कहा कि कुलचेहर में गांव की सड़क का काम को पुनः शुरू किया जाएगा. वहीं सलग्रां कुहल का काम शुरू हो गया है. सड़क में डंगे लगाने का कार्य भी चल रहा है ताकि भूमि कटाव से खेतों का बचाव किया जा सके. सलग्रा के अलग पंचायत बन जाने से इसके विकास की गति बढ़ेगी, सरकार ने 65 साल से ऊपर की सभी महिलाओं व 70 साल के ऊपर पुरुषों को पेंशन के लिए प्रावधान किया है.

योजनाओं का अधिकाधिक लाभ लेने का आह्वाहन

उन्होंने सभी से सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का अधिकाधिक लाभ लेने का आह्वान किया और बताया कि महिलाओं को गृहिणी सुविधा योजना के अंतर्गत मुफ्त गैस कनेक्शन हिमकेयर योजना में पांच लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा देती है. उन्होंने कहा कि कृषि के लिए हर एक घर में साइकिल हल मुफ्त में दिए जाएंगे. वहीं, थिरोट से तिन्दी के बीच रेशम कीटपालन योजना के लिए उद्योग विभाग के माध्यम से 15 करोड़ की राशि भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है. जिससे किसानों को रेशम कीटपालन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे उनकी आर्थिकी सुदृढ़ होगी.

सलग्रा में जिओ का टावर को मिली स्वीकृत

डॉ. मारकंडा ने बताया कि सलग्रा में जिओ का टावर स्वीकृत हो चुका है, जल्द ही कार्य करना शुरू कर किया जाएगा. जिसके बाद यहां नेटवर्क की समस्या समाप्त हो जाएगी. लाहौल स्पीति में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं, इसके लिए सभी को तैयार होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि स्नो फेस्टिवल कराने का उद्देश्य सिर्फ नृत्य नहीं था बल्कि यहां की संस्कृति को लिपिबद्ध करके इसे पर्यटन के लिए आधार तैयार करना था. उन्होंने कहा कि शरदकालीन खेलों को बढ़ावा देना इसलिए भी आवश्यक है ताकि प्रतिभाशाली युवा युवतियां इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकें.

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