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बरसात के बाद बगीचों में वूली एफिड का कहर, बागवान परेशान - कुल्लू में बागवान परेशान

वूली एफिड रोग में सेब की टहनियों पर सफेद रूई जैसी इकट्ठा हो जाती है. यह कीट पहले तो पत्तों को खा जाते हैं और इसके बाद टहनियां भी सूख जाने का खतरा बना रहता है. बरसात के दौरान इन वूली एफिड का कहर बगीचों में अधिक देखने को मिलता है.

बरसात के बाद बगीचों में वूली एफिड का कहर

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Published : Oct 3, 2019, 11:56 AM IST

कुल्लू: जिला में सेब सीजन खत्म हो रहा है. वहीं, बरसात के चलते घाटी में सेब के बगीचों में वूली एफिड का प्रकोप देखने को मिल रहा है. सेब के पौधों में लग रहे वूली एफिड रोग को लेकर बागवान परेशान हैं.

बागवानी विभाग के विशेषज्ञों ने बागवानों को सलाह दी है कि वे समय पर अपने बगीचों में दवाइयों का छिड़काव करें. इससे काफी हद तक वूली एफिड रोग पर नियंत्रण हो जाएगा. बरसात के बाद कई बगीचों में वूली एफिड रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है.

बगीचों में वूली एफिड का कहर

बता दें कि वूली एफिड रोग में सेब की टहनियों पर सफेद रूई जैसी इकट्ठा हो जाती है. यह कीट पहले तो पत्तों को खा जाते हैं और इसके बाद टहनियां भी सूख जाने का खतरा बना रहता है. बरसात के दौरान इन वूली एफिड का कहर बगीचों में अधिक देखने को मिलता है. बागवान रमेश कुमार ठाकुर, चंदन ठाकुर, रोहित, नरेंद्र शर्मा, प्यारे लाल, देवी सिंह ठाकुर, नंद किशोर और बलवीर सिंह ने कहा कि सेब का सीजन लगभग समाप्ति की ओर है.

सेब के बगीचों में वूली एफिड का प्रकोप

उन्होंने कहा कि वूली एफिड पर नियंत्रण पाने के लिए बागवान अपने स्तर पर प्रयास भी कर रहे हैं. विभाग को चाहिए कि वह विभिन्न क्षेत्रों के बागवानों को इस रोग के प्रति जागरूक करें. इसको लेकर जगह-जगह जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जाने चाहिए.

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इस संबंध में ग्रामीण कृषि मौसम सेवा इकाई सेउबाग के नोडल ऑफिसर डॉ. मोहन सिंह जांगड़ा ने कहा कि वूली एफिड रोग की रोकथाम के लिए एक तारा 25 ईसी 200 ग्राम को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. इससे वूली एफिड रोग पर काफी हद का नियंत्रण हो जाएगा.

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