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Vat Savitri Puja Subh Mahurat: आज मनाया जाएगा वट सावित्री का त्योहार, जानें पूजा का शुभ मुहुर्त - भारत में वट सावित्री पूजा

vat savirti vrat 2023: वट सावित्री व्रत सनातन धर्म में बेहद खास त्योहार माना जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए रखती हैं और कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं. इस बार वट सावित्री व्रत 19 मई यानी आज शुक्रवार को रखा जाएगा. आचार्य दीप कुमार बता रहे हैं कैसे करें पूजा... (Vat Savitri Puja Subh Mahurat).

vat savirti vrat 2023
डिजाइन फोटो.

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Published : May 18, 2023, 8:15 PM IST

Updated : May 19, 2023, 6:08 AM IST

कुल्लू: सनातन धर्म में व्रत व त्योहार का काफी महत्व है और प्रभु कृपा पाने के लिए गृहस्थ व्रत सहित अन्य त्योहारों में भी कई आयोजन करते हैं. ऐसे में सौभाग्य प्राप्ति के लिए वट सावित्री का व्रत भी काफी अहम माना गया है. वट सावित्री का व्रत जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को किया जाता है और इस बार यह वट सावित्री व्रत 19 मई यानी आज मनाया जाएगा. ऐसे में इस दिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक जीवन की खुशी के लिए इस व्रत को पूरा करती हैं.

पंचांग के अनुसार वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाएगा और अमावस्या की शुरुआत 18 मई रात 9:45 पर हो गई. वहीं, इसका समापन 19 मई को रात 9:22 पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के चलते वट सावित्री का व्रत 19 मई को रखा जाएगा. वट सावित्री के व्रत के दिन वटवृक्ष के विशेष रूप से पूजा की जाती है, क्योंकि वटवृक्ष में ब्रह्मा विष्णु और महेश त्रिदेव का वास होता है. बरगद के तने में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव पस करते हैं. वृक्ष की लटकती शाखाओं को सावित्री के रूप में पूजा जाता है और इस दिन वट वृक्ष को अक्षयवट के नाम से भी पूजा जाता है.

वट वृक्ष की पूजा से होती है सौभाग्य की प्राप्ति:आचार्य दीप कुमार का कहना है कि शास्त्रों में वट वृक्ष की पूजा का विधान भी लिखा गया है. जिसमें कहा गया है कि वट वृक्ष की पूजा से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और स्थाई धन और सुख शांति भी जीवन में आती है. आचार्य दीप कुमार का कहना है कि इस दिन स्त्रियां स्नान करके निर्जल रहकर इस पूजा का संकल्प लें. वटवृक्ष के नीचे सावित्री सत्यवान और यमराज की मूर्ति स्थापित करें. वहीं, वट वृक्ष की जड़ में जल भी चढ़ाएं और फल, धूप आदि से वृक्ष की पूजा करें. इसके बाद सावित्री सत्यवान की कथा सुनें और उसके बाद प्रसाद लोगों में वितरित करें.

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Last Updated : May 19, 2023, 6:08 AM IST

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