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Union Budget 2023: बागवानों को केंद्रीय बजट से राहत की उम्मीद, बोले: बागवानी उपकरणों से कम की जाए इंपोर्ट ड्यूटी - हिमाचल बागवानों को केंद्रीय बजट 2023 से उम्मीदें

हिमाचल प्रदेश के बागवानों को केंद्र सरकार द्वारा एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं. बागवानों की मुख्य मांग बागवानी संबंधी उपकरणों की इंपोर्ट ड्यूटी कम करने और प्रदेश में सिंचाई ढांचे को मजबूत करने की हैं. अन्य मांगों को जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...(Union Budget 2023) (Union Budget For Apple Growers in Himachal)

Union Budget 2023.
केंद्रीय बजट 2023.

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Published : Jan 29, 2023, 2:05 PM IST

Updated : Jan 30, 2023, 6:05 AM IST

कुल्लू:केंद्र सरकार के द्वारा फरवरी माह में अपना बजट जारी किया जाना है. ऐसे में देश की जनता को केंद्र सरकार के इस बजट से काफी उम्मीदें हैं, ताकि बजट के माध्यम से आम जनता को राहत मिल सके. वहीं, हिमाचल प्रदेश के बागवान भी केंद्र सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं. हिमाचल प्रदेश में बागवानी अपने आप में एक बड़ा क्षेत्र है जिससे लाखों परिवारों की आर्थिकी मजबूत होती है.

प्रदेश में सिंचाई ढांचे को मजबूत करने की बागवान लगा रहे आस.

ऐसे में हिमाचल के बागवानों को भी केंद्र सरकार से उम्मीद है कि वे इस साल के बजट में उनके लिए राहत लेकर आएंगे. बागवान टिकम राम का कहना है कि जिला कुल्लू की अगर बात की जाए तो यहां पर भी लोगों की आर्थिकी का मुख्य जरिया बागवानी है. ऐसे में बागबान अब आधुनिक तकनीक की ओर भी अपना रुझान दिखा रखे हैं. जिसके चलते अब बागवानी के नए-नए उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

लेकिन बाहरी देशों से आने वाले उपकरणों पर इंपोर्ट ड्यूटी भी काफी अधिक लगाई जाती है. जिससे बागवानों को आर्थिक रूप से लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में बागवानों का केंद्र सरकार से आग्रह है कि केंद्रीय बजट पर बागवानी संबंधी सभी उपकरणों में इंपोर्ट ड्यूटी को कम किया जाए. इसके अलावा जिन भी उपकरणों पर जीएसटी लगाई जा रही है. उस जीएसटी की दर को भी कम कर बागवानों को राहत दी जानी चाहिए.

हिमाचल में लोगों की आर्थिकी का मुख्य जरिया बागवानी.

बागवान राहुल का कहना है कि सेब उत्पादन सेक्टर की दूसरी जरूरत सिंचाई सुविधा की है. राहुल का कहना है कि इजराइल जैसा देश एक तालाब से भी सिंचाई का काम ले लेता है. हिमाचल के पास तो फिर भी नदियां हैं. ऐसे में प्रदेश में बागवानी क्षेत्र के लिए सिंचाई के ढांचे को भी मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि गर्मियों के मौसम में बगीचों में बागवान की पानी की जरूरत पूरी हो सके.

इसके अलावा बागवानी सेक्टर से जुड़ी योजनाओं को तैयार करने में फील्ड का अनुभव रखने वाले बागवानों को नीति निर्धारण में शामिल किया जाना चाहिए. बागवान नरेंद्र ठाकुर का कहना है कि केंद्र सरकार को सेब आयात पर शुल्क को बढ़ाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ईरान, तुर्की, चिली व अन्य देशों से आने वाला सेब सस्ता पड़ता है. हिमाचल के बागवान विपरीत परिस्थितियों में सेब उगाते हैं.

भारत एक विशाल मार्केट है और ऐसे में विदेशी सेब का कारोबार करने वालों की बजाय देश के उत्पादकों का हित देखना चाहिए. उन्होंने सेब को ओपन जनरल लाइसेंसिंग से मुक्त कर विशेष कैटेगरी में रखने की मांग की. साथ ही सेब उत्पादन में जरूरी पेस्टीसाइड व अन्य सामान का इंपोर्ट सस्ता करने का भी केंद्र सरकार से आग्रह किया.

बागवान बागवानी संबंधी उपकरणों की इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की कर रहे मांग.

बागवान गंगा ठाकुर का कहना है कि अब बाहरी देशों से भी सेब की नई-नई किस्म भारत के पहाड़ी इलाकों में आ रही है. लेकिन महंगी होने के बावजूद भी उनकी गुणवत्ता कुछ अच्छी नहीं है. हालांकि इसके लिए सरकार के द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है. ऐसे में केंद्र सरकार के बजट में उच्च गुणवत्ता वाले पौधों के लिए भी बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए, ताकि पहाड़ी इलाकों में यह पौधे अच्छी तरह से फल फूल सके.

करीब साढ़े चार हजार करोड़ की हिमाचल की आर्थिकी सेब पर निर्भर करती है.

बागवान अमित शर्मा का कहना है कि बागवानों को जब खाद व दवाइयों की जरूरत होती है, तो उस दौरान उन्हें यह नहीं मिल पाते हैं. जिसके चलते बागवानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. समय पर खाद व कीटनाशक बागवानों को मिल सके इसके लिए भी केंद्रीय बजट में विशेष रूप से प्रावधान किया जाना चाहिए, ताकि किसी बीमारी के प्रकोप के चलते बागवान की फसल खराब ना हो सके.

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Last Updated : Jan 30, 2023, 6:05 AM IST

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