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कुल्लू के 8 प्राथमिक स्कूल में नहीं कोई छात्र, कई स्कूलों में छात्रों की संख्या 10 से भी कम

हिमाचल प्रदेश में अभिभावकों का रुख अब निजी स्कूलों की ओर अधिक बढ़ रहा है. जिला कुल्लू की बात करें तो यहां पर 8 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जहां पर पिछले 1 साल से किसी भी छात्र ने दाखिला नहीं लिया है. वहीं, 93 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां पर छात्रों की संख्या 10 से कम है.

Condition of Government schools in kullu
Condition of Government schools in kullu

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Published : Feb 28, 2023, 3:47 PM IST

कुल्लू:हिमाचल प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में प्रदेश सरकार लगातार कार्य कर रही है. लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश में कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जहां पर हर साल छात्रों की संख्या कम हो रही है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं जहां पर कोई भी छात्र अध्ययनरत नहीं है. ऐसे में प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे अभियान को सफलता नहीं मिल पा रही है.

बात अगर जिला कुल्लू की करें तो यहां पर भी 8 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जहां पर पिछले 1 साल से किसी भी छात्र ने दाखिला नहीं लिया है. वहीं, 93 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां पर छात्रों की संख्या 10 से कम है. हालांकि इन स्कूलों के बारे में शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षा निदेशालय को भी सूचित किया गया है. लेकिन अभी तक न तो यह स्कूल बंद किए गए हैं और न ही यहां कोई छात्र पढ़ने के लिए पहुंचा है.

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिला कुल्लू में 765 प्राथमिक स्कूल है. जिनमें से 8 स्कूलों में छात्रों की संख्या शून्य है. वहीं, 93 स्कूलों में छात्रों की संख्या 10 से भी कम है. वहीं, जिला कुल्लू में 119 माध्यमिक स्कूल है. जिनमें से 12 स्कूलों में 5 से कम छात्र हैं. वहीं, 20 माध्यमिक स्कूलों में 10 से कम छात्र हैं. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कुल्लू जिला के प्राथमिक स्कूल धार, कुर्की, कोई, बागी, पोखरी, बाह, रथेड़, शानू में कोई भी स्कूल नहीं है. इसके अलावा जिले में 93 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर एक से 4 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

वहीं, जिला कुल्लू में माध्यमिक स्कूल चौकी-एक, मनिहार, कोईशुधार, रामनगर, डोभी, मोइन, अनास, बशाल, मोहली, थथाल, पातला, गाड़, कशता, कराड, बिहार, धौलीगार्ड, रामबी, न्यूली, सोलंग व लिंगन स्कूल में 10 से कम छात्र है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब अभिभावकों का रुख निजी स्कूलों की ओर अधिक बढ़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में पहले प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में सबसे ज्यादा सरकारी स्कूलों में छात्र पढ़ते थे. लेकिन अब बदलते दौर मे अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करवा रहे हैं. जिसके चलते सरकारी स्कूलों में छात्रों की लगातार संख्या कम हो रही है. हालांकि जिन स्कूलों में कोई भी छात्र नहीं है, वहां पर तैनात स्टाफ को दूसरे स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया है. लेकिन, दस्तावेजों में अभी भी यह स्कूल कार्य कर रहे हैं.

प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के उपनिदेशक सुरजीत राव का कहना है कि शिक्षा विभाग की ओर से उन स्कूलों की फिर से सूची मांगी गई है, जिनमें कम छात्र हैं. कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की जानकारी समय-समय पर उच्च अधिकारियों को भी दे दी गई है. वहीं, जिन स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है वहां पर कोई भी शिक्षक तैनात नहीं किया गया है.

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