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दुनिया की कोई सुरंग नहीं कर पाएगी अटल टनल का मुकाबला, जानिए खास बातें

दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी रोड टनल है हिमाचल के मनाली में और इसका नाम है अटल टनल रोहतांग. पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इस टनल का नामकरण हुआ है. 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी ये टनल भारत में अपनी तरह का एक इंजनीयरिंग लैंडमार्क है.

Atal Tunnel Rohtang
अटल टनल रोहतांग

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Published : Oct 2, 2020, 11:00 PM IST

कुल्लू: अगर कोई आपसे पूछे कि दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी रोड टनल कहां है, तो आप बेझिझक होकर इसके जवाब में अपने देश यानि भारत का नाम कह सकते हैं. जी हां दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बनी रोड टनल है हिमाचल के मनाली में और इसका नाम है अटल टनल रोहतांग. पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इस टनल का नामकरण हुआ है.

अब मनाली अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा इस टनल के लिए भी जाना जाएगा. यह टनल दक्षिण में रोहतांग दर्रे के एक छोर से शुरू होकर उत्तरी छोर पर लाहौल स्पीति को जोड़ती है. 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी ये टनल भारत में अपनी तरह का एक इंजनीयरिंग लैंडमार्क है.

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यह टनल लाहौल-स्पीति और लेह के लिए एक वैकल्पिक ऑल वेदर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. इससे पहले सर्दियों में लाहौल घाटी का संपर्क करीब 6 महीने तक बाकी देश और दुनिया से कट जाता था और हेलीकॉप्टर सेवा ही एक मात्र विकल्प बचता था, लेकिन इस टनल के बन जाने से अब लाहौल वासियों को काफी राहत मिलेगी. टनल की वजह से मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हुई है.

दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे लंबी रोड टनल है. घोड़े के नाल के आकार में बनी इस सुरंग लंबाई 9.2 किलोमीटर है. टनल में हर 60 मीटर की दूरी पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं. सुरंग के भीतर हर 500 मीटर की दूरी पर इमरजेंसी एग्जिट हैं. किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचने के लिए फाइटर हाइड्रेंट लगाए गए हैं. टनल की चौड़ाई 10.5 मीटर है. इसमें दोनों ओर 1-1 मीटर के फुटपाथ बनाए गए हैं.

अटल टनल प्रोजेक्ट की लागत 2010 में 1,700 रुपये से बढ़कर सितंबर 2020 तक 3,200 करोड़ रुपये हो गई. सुंरग में दोनों ओर से वाहनों की आवाजाही हो पाएगी यानी कि यह डबल लेन है. यह देश की पहली ऐसी सुरंग होगी जिसमें मुख्य सुरंग के भीतर ही बचाव सुरंग बनाई गयी है.

इस टनल के अंदर कोई भी वाहन अधिकतम 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकेगा. यह टनल इस तरीके से बनाई गई है कि इसके अंदर एक बार में 3000 कारें या 1500 ट्रक एकसाथ निकल सकते हैं. टनल के अंदर अत्याधुनिक ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड का उपयोग किया गया है. वेंटिलेशन सिस्टम भी ऑस्ट्रेलियाई तकनीक पर आधारित है.

हिमाचल के कठिन पहाड़ी क्षेत्र में बनी इस टनल के निर्माण की शुरुआत का सिलसिला काफी पुराना भी है और अहम भी. इस टनल के निर्माण में 10 साल का समय लगा है. टनल को बनाने की शुरुआत 28 जून 2010 को हुई थी. इसे बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने बनाया है.

इसके बनने से सबसे ज्यादा फायदा लद्दाख में तैनात भारतीय फौजियों को मिलेगी. क्योंकि इसके चलते सर्दियों में भी हथियार और रसद की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी. अब सिर्फ जोजिला पास ही नहीं बल्कि इस मार्ग से भी फौजियों तक सामान की सप्लाई हो सकेगी.

इस टनल की डिजाइन बनाने में DRDO ने भी मदद की है ताकि बर्फ और हिमस्खलन से इस पर कोई असर न पड़े. यहां यातायात किसी भी मौसम में बाधित न हो. इस टनल के अंदर निश्चित दूरी पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे जो स्पीड और हादसों पर नियंत्रण रखने में मदद करेंगे. टनल के अंदर हर 200 मीटर की दूरी पर एक फायर हाइड्रेंट की व्यवस्था की गई है. ताकि आग लगने की स्थिति में नियंत्रण पाया जा सके. इस टनल के माध्यम से पहाड़ों पर लगने वाले जाम से बचा जा सकेगा.

Conclusion:

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