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कुल्लू में महाशिवरात्रि की धूम, श्रद्धालु मंदिरों में कर रहे भगवान शिव की आराधना

कुल्लू के प्रसिद्ध बिजली महादेव, भूतनाथ मंदिर, शिव मंदिर व मणिकर्ण स्थित शिव मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहा. तमाम मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने दूध और बेल पत्र से शिवलिंग का जलाभिषेक किया. सुबह से ही शिवालयों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और एतिहासिक शिवलिंग के दर्शन के लिए लोग लंबी-लंबी कतारों में दर्शनों के लिए इंतजार करते रहे.

Festival of Mahashivaratri
कुल्लू में धूमधाम से मनाया जा रही शिवरात्रि.

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Published : Feb 21, 2020, 3:28 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के प्रसिद्ध बिजली महादेव, भूतनाथ मंदिर, शिव मंदिर, सियाली महादेव मंदिर, गौरी शंकर मंदिर दशाल, बुंगडू महादेव, लरांई महादेव मंदिर, मणिकर्ण स्थित शिव मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहा. लोग महादेव के दर्शनों के लिए दिनभर कतारों में खड़े रह रहे. वही, मंदिरों में भजन कीर्तन का दौर भी चलता रहा. इस दौरान भगवान शिव के जयकारों और भजन कीर्तन से माहौल देवमयी हो गया हैं.

महाशिवरात्रि का खास महत्व है और इस दिन उपवास रखने व पूजा-अर्चना करने से भोले नाथ भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं.

मोनिका मंदिर में दर्शनों के लिए आए भोले नाथ ने कहां की वह हर साल शिवरात्रि के अवसर पर शिव मंदिर आती है. उन्होंने कहा कि मौसम थोड़ा खराब है, लेकिन पूजा-अर्चना अच्छे से हो गई. उन्होंने कहा कि पहले भीड़ कम थी,लेकिन अब काफी भीड़ हो गई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भोलेनाथ अपने के भक्तों की हर मनोकामना को पूरी करते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

महामंडलेश्वर बजरंग दास महाराज ने कहा कि पूरे विश्व में शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. भोलेनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग में ज्योति रूप में प्रकट हुए हैं. इनकी सेवा करने से सभी का कल्याण होता है. वहीं, जलाभिषेक करने से शंकर प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. उन्होंने कहा कि एक बेलपत्र चढ़ाने का पुण्य एक करोड कन्यादान करने के बराबर है.

वही, जिले के तमाम मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने दूध और बेल पत्र से शिवलिंग का जलाभिषेक किया. सुबह से ही शिवालयों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और एतिहासिक शिवलिंग के दर्शन के लिए लोग लंबी-लंबी कतारों में दर्शनों के लिए इंतजार करते रहे. देवालयों को शिवरात्रि के लिए विशेष तौर पर सजाया गया है. सुबह चार बजे पहली आरती को देव-विधान के अनुसार किया गया. इसके बाद देवता के पुरोहित ने नर्गिस के फूलों और पांजा के पतों से बना विशेष चौंसर शिवलिंग पर चढ़ाया.

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