Shattila Ekadashi 2023: हर माह आने वाली कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी को जोड़कर सालभर में 24 एकादशी आती है. एकादशी के व्रत का विशेष महत्व होता है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी षटतिला एकादशी कहलाती है. पंडित पवन शर्मा के मुताबिक षटतिला एकादशी सबसे उत्तम एकादशी मानी जाती है. इसे तिलों की एकादशी भी कहा जाता है. इस बार षटतिला एकादशी आज बुधवार यानी 18 जनवरी को है. इस व्रत से जुड़े नियम और शुभ मुहूर्त के बारे में आपको बताएंगे.
षटतिला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान तिलों की एकादशी षटतिला एकादशी- इस एकादशी में तिलों का विशेष महत्व है. इस दिन व्रत धारी खान-पान से लेकर भगवान को भोग लगाने और दान देने तक में तिल का इस्तेमाल किया जाता है. पंडित पवन शर्मा बताते हैं कि इस दिन सुबह उठकर पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए. तिल से बने उबटन का इस्तेमाल और तिल के तेल से मालिश कर सकते हैं. एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और षटतिला एकादशी पर उन्हें तिल से बने मिष्ठान आदि का भोग लगाया जाता है. व्रतधारी इस दिन स्नान और पूजा के बाद तिल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए. रात में भी जब भोजन करें तो तिल का प्रयोग जरूर करें. पंडित पवन शर्मा के मुताबिक अगर आप पानी या दूध पीते हैं तो उसमें भी तिल का इस्तेमाल करें. इस दिन तिल के दान का भी विशेष महत्व है. षटतिला एकादशी पर तिल से हवन भी किया जाता है.
भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाएं कब है षटतिला एकादशी और शुभ मुहूर्त- षटतिला एकादशी माघ महीने के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है. इस बार ये आज मनाई जाएगी. इस बार षटतिला एकादशी तिथि 17 जनवरी शाम 6:05 बजे से शुरू होकर 18 जनवरी शाम 4:03 बजे तक रहेगी. तिथि की अनुसार व्रत 18 जनवरी को रखा जाएगा. इसका पारण 19 जनवरी को सुबह 7:15 बजे से 9:29 बजे तक होगा.
18 जनवरी 2023 को है षटतिला एकादशी षटतिला एकादशी पर भूलकर भी ना करें ये काम- वैसे तो सनातन व्रत परंपरा में एकादशी का विशेष महत्व है. लेकिन माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी का अलग ही महत्व है. इसे षटतिला एकादशी कहते हैं. आचार्य पुष्पराज शर्मा के मुताबिक एकादशी पर व्रत, भगवान विष्णु की पूजा आदि का विधान है लेकिन इस दिन भूलकर भी ये गलतियां नहीं करनी चाहिए.
- व्रत के एक दिन पूर्व से मांसाहार और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए.
- शराब, नशीले पदार्थ, जुआ आदि व्यस्नों से दूर रहें.
- षटतिला एकादशी के दिन व्रत नहीं भी रखा है तो भी बैंगन और चावल नहीं खाना चाहिए.
- व्रत रखने वाले को इस दिन तिल का उबटन लगाना चाहिए
- इस दिन पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए.
- व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
- दान का विशेष महत्व है इसलिये किसी भी जरूरतमंद को घर से खाली हाथ ना लौटाएं.
- व्रत लेने वाले इस दिन सोने के लिए पलंग का इस्तेमाल ना करें. जमीन पर ही सोना या विश्राम करें.
षटतिला एकादशी को तिलों की एकादशी भी कहते हैं
षटतिला एकादशी पर करें ये काम- षटतिला एकादशी व्रत सभी एकादशी व्रतों में सर्वोत्तम मानी जाती है. कहते हैं कि इस एक एकादशी का व्रत करने से साल की सभी 24 एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. भगवान विष्णु की पूजा के साथ उन्हें तिल का भोग लगाने के अलावा पुष्प अर्पित करें और मंदिर में दीया जलाएं. इसके अलावा षटतिला एकादशी पर ये काम भी जरूर करने चाहिए.
- षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में तिल का प्रयोग करें. उन्हें तिल का भोग लगाएं.
- जो व्रत रखते हैं, उनको फलाहार में तिल से बने खाद्य पदार्थ एवं तिल मिला हुआ जल ग्रहण करना चाहिए.
- तिलों से बना हुआ भोजन ही ग्रहण करना चाहिए.
- षटतिला एकादशी के दिन तिल का हवन और तिल का दान करने का विधान है.
- पानी में तिल डालकर स्नान करें और तिल का उबटन लगाएं.
षटतिला एकादशी का व्रत नियमानुसार करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. विधि विधान से पूजा औऱ व्रत करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस व्रत को यश कीर्ति और निरोगी काया के लिए भी किया जाता है. षटतिला एकादशी व्रत को लंबी आयु देने वाला भी कहा जाता है.
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