कुल्लू: सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा का विशेष महत्व है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या मनाई जाएगी. इस साल 14 अक्टूबर को अमावस्या मनाई जाएगी. वहीं, शनिवार होने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या भी कहा जाता है. शनिचरी अमावस्या न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है. इस दिन भगवान शनि देव की विशेष पूजा उपासना की जाती है. अमावस्या तिथि पर दान पुण्य करने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं.
शनिचरी अमावस्या 2023:सर्व पितृ अमावस्या होने के चलते पितरों के निमित्त भी श्राद्ध किया जाता है. शनिचरी अमावस्या होने के चलते शनि देव की पूजा अर्चना करने से जीवन में सभी प्रकार के दुख, हर संकट दूर होते और घर में सुख समृद्धि आती है. ऐसे में शनिचरी अमावस्या के अवसर पर शनि स्त्रोत के साथ-साथ शनि ग्रह की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना भी की जानी चाहिए.
पूजा की विधि: शनिचरी अमावस्या के दिन शनि चालीसा या शनि स्त्रोत का पाठ करें. शनि देव को काले तिल और नीले रंग के फूल चढ़ाएं. इससे भी भक्तों पर शनिदेव की कृपा मिलती है. इसके अलावा शनिचरी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से भी पुण्य मिलता है. वहीं, कुंडली में ढैया, साढ़े सती और शनि की बुरी दृष्टि से भी छुटकारा मिलता है. शनिचरी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना बेहद शुभ माना गया है. इस दिन लोटे में पानी भरकर उसमें तिल, फूल, चावल और चीनी मिलाकर पीपल के पेड़ पर अर्पित करें और सरसों के तेल का भी दीपक जलाएं. वहीं, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए 'ओम शं शनैश्चराय' मंत्र का भी जाप करें.
काली गाय की पूजा से होगा लाभ: कुल्लू के आचार्य विजय कुमार शर्मा का कहना है कि अगर व्यक्ति को कड़ी मेहनत के बाद भी असफलता का सामना करना पड़ रहा है, तो शनिचरी अमावस्या के दिन काली गाय का आशीर्वाद लें और उसकी पूजा करें. काली गाय को बूंदी के लड्डू खिलाए. ऐसा करने से शनि दोष से छुटकारा मिलता है और जीवन के सभी दुख दूर होते हैं. इसके अलावा शनिचरी अमावस्या के दिन शनि मंदिर जाएं और शनि देव की पूजा अर्चना करें.
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