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Sankashti Chaturthi 2023: आज संकष्टी चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी का पूजन, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है. इस दिन पूरे विधि विधान के साथ गणेश जी की पूजा करने से भक्तों पर भगवान की विशेष कृपा बरसती है. (Sankashti Chaturthi 2023) (sankashti chaturthi puja vidhi)

Sankashti Chaturthi 2023
Sankashti Chaturthi 2023

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Published : Feb 8, 2023, 9:43 PM IST

Updated : Feb 9, 2023, 6:02 AM IST

कुल्लू:फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. संस्कृत भाषा में संकष्टी का अर्थ संकट या बाधा हरना होता है. इसलिए संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का विधि-विधान से पूजन करने से सभी दुख दूर होते हैं. भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी का दिन सबसे शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि यदि आप किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं तो संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी का पूजन करने से सभी परेशानियां और बाधाएं दूर होती हैं. सनातन धर्म में किसी भी पूजा या शुभ कार्य से पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है.

गणेश जी की आराधना करने से साढ़ेसाती से मिलेगी मुक्ति:भगवान गणेश की आराधना करने से भक्तों को शनि की साढ़ेसाती से भी मुक्ति मिलेगी. नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गजानन की आराधना से सुख-सौभाग्य में वृद्धि तथा घर -परिवार पर आ रही विघ्न -बाधाओं से मुक्ति मिलती है एवं रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं. इस चतुर्थी में चन्द्रमा के दर्शन एवं अर्घ्य देने से गणेश जी के दर्शन का पुण्य फल मिलता है. जिन पर शनि की साढ़ेसाती और ढैया चल रही है उन्हें यह व्रत रखना चाहिए.

संकष्टी चतुर्थी के दिन इस तरह करें पूजा:संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद लाल वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें. भगवान गणेश का ध्यान करते हुए ‘मम वर्तमानागामि-सकलानिवारणपूर्वक-सकल-अभीष्टसिद्धये गणेश चतुर्थीव्रतमहं करिष्ये’ इन पंक्तियों के साथ व्रत का संकल्प लें. भगवान सूर्य देवता को जल चढ़ाएं और घर के मंदिर में गणेश प्रतिमा को गंगा जल और शहद से स्वच्छ करें. इसके बाद घी का दीपक तथा सुगंध वाली धूप जलाएं. पूजा के लिए सिंदूर, चंदन, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि चीजें एकत्रित करें. फिर गणेश जी का ध्‍यान करने के बाद उनका आह्वन करें.

इसके बाद गणेश को स्‍नान कराएं. सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और पुन: शुद्ध जल से स्‍नान कराएं. इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, फूलों की माला अर्पित करें. अब गणेश जी को वस्‍त्र चढ़ाएं. अगर वस्‍त्र नहीं हैं तो जनेऊ भी अर्पित कर सकते हैं. अब गौरी-गणेश की विधि-विधान से पूजा करें. अब एक दूसरा दीपक जलाकर गणपति की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें. हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का इस्‍तेमाल करें. अब नैवेद्य में मोदक, तिल की मिठाई, गुड़ और फल अर्पित करें. इसके बाद चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ें और'ॐ गं गणपते नमः मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें. इस मंत्र का जाप 108 बार करें और गणेश के मंत्र व चालीसा और स्तोत्र आदि का वाचन करें. इस दिन गाय को रोटी या हरी घास दें या फिर जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज का दान करें.

लाल रंग के गणेश जी की पूजा करने से मिलेगा धन: वहीं, धन की इच्छा रखने वालों को हरे रंग के गणेश जी एवं जिनकी तबियत खराब रहती हो उन्हें लाल रंग के गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. जिनकी संतान को किसी भी प्रकार का कष्ट हो, उन माताओं को इस दिन गणेश जी का व्रत एवं पूजा करनी चाहिए. सांयकाल लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर मिट्टी के गणेश जी एवं चौथ माता की तस्वीर स्थापित करें. पूजा करने से पहले ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ हो. रोली, मोली, अक्षत, फल, फूल आदि श्रद्धा पूर्वक अर्पित करें.

चंद्रमा को अर्घ्य दें:गणेश जी एवं चौथ माता को प्रसन्न करने के लिए तिल और गुड़ से बने हुए तिलकुटे का नैवेद्य अर्पण करें और आरती करें. चंद्रोदय होने पर तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन, कुश, पुष्प, अक्षत आदि डालकर चंद्रमा को यह बोलते हुए अर्घ्य दें-'गगन रुपी समुद्र के माणिक्य चन्द्रमा, दक्ष कन्या रोहिणी के प्रियतम, गणेश के प्रतिविम्ब, आप मेरा दिया हुआ यह अर्घ्य स्वीकार कीजिए'. चन्द्रमा को यह दिव्य तथा पापनाशक अर्घ्य देकर गणेश जी कथा का श्रवण या वाचन करें. इस तिथि में गणेश जी की पूजा भालचंद्र नाम से भी की जाती है.

Last Updated : Feb 9, 2023, 6:02 AM IST

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