कुल्लू:अयोध्या और कुल्लू का 370 साल पुराना अटूट रिश्ता है. अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर कुल्लू के लोगों में भारी उत्साह है. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भूमि पूजन करेंगे. सन् 1650 ई. में भगवान रघुनाथ की मूर्ति अयोध्या से कुल्लू लाई गई थी.
1660 में रघुनाथपुर में मूर्ती की स्थापना की गई थी. 10 साल तक रघुनाथ को मकराहड़ और धार्मिक स्थली मणिकर्ण में रखा गया. इसके चलते मणिकर्ण को राम की नगरी भी कहा जाता है. यहां राम मंदिर का निर्माण किया गया है.
क्या है कुल्लू में स्थापित मूर्तियों का इतिहास:
कुल्लू में करीब 500 देवी-देवताओं के अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ का अयोध्या से गहरा नाता रहा है. सन् 1650 ई. में तत्कालीन कुल्लू के राजा जगत सिंह के आदेश पर भगवान रघुनाथ, सीता और हनुमान की मूर्तियां अयोध्या से दामोदर दास नामक व्यक्ति लाया था.
राजा जगत सिंह ने अपनी राजधानी को नग्गर से स्थानांतरित कर सुल्तानपुर में बसा लिया था. एक दिन राजा को दरबारी ने सूचना दी कि मड़ोली (टिप्परी) के ब्राह्मण दुर्गादत्त के पास सुच्चे मोती हैं, जब राजा ने मोती मांगे तो राजा के भय से दुर्गादत्त ने खुद को अग्नि में जलाकर समाप्त कर दिया, लेकिन उसके पास मोती नहीं थे. इससे राजा को ब्रह्म हत्या का रोग लग गया. ब्रह्म हत्या के निवारण को राजा जगत सिंह के राजगुरु तारानाथ ने सिद्धगुरु कृष्णदास पथहारी से मिलने को कहा.
कैसा पहुंची मूर्तियां मणिकर्ण: