कुल्लू: प्राचीन भारतीय संस्कृति में खेती को सर्वोत्तम व्यवसाय कहा गया है और आज के दौर में भी इसके महत्व को नकारा नहीं जा सकता. कृषि क्षेत्र में आज भी करोड़ों लोगों को रोजगार देने का सामर्थ्य है. यही कारण है कि केंद्र और प्रदेश सरकार कृषि एवं इससे संबंधित अन्य गतिविधियों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है और प्रगतिशील युवा किसानों को नकदी फसलों की खेती के लिए प्रेरित कर रही है.
सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरियां तलाशने के बजाय अगर युवा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर नकदी फसलों की खेती करें तो वे घर में ही अच्छा रोजगार प्राप्त कर सकते हैं. कुल्लू शहर से सटे बदाह क्षेत्र के दो युवा किसान राकेश कुमार और गुप्त राम सरकारी योजनाओं का लाभ उठा खेती में बेहतर कमाई कर रहे है. कुछ बीघा जमीन पर ही लहसुन, गोभी, शिमला मिर्च और अन्य नकदी फसलें उगाकर ये दोनों युवा हर सीजन में लाखों की आय अर्जित कर रहे हैं.
बदाह के राकेश कुमार ने बताया कि वह अपनी पांच बीघा जमीन पर हर सीजन में 25 से 30 क्विंटल तक लहसुन की पैदावार कर रहे हैं. उन्हें घर में ही या स्थानीय सब्जी मंडी में लहसुन के अच्छे दाम मिल जाते हैं. इसके अलावा वह गोभी व अन्य सब्जियां भी उगाते हैं. खेतों के किनारों पर उन्होंने नाशपाती, जापानी फल और अन्य फलदार पेड़ लगाए हैं.
साल भर में अलग-अलग सीजन के अनुसार नकदी फसलों से उन्हें घर में ही अच्छी आय होती है और उन्हें रोजगार के लिए बाहर जाने की जरुरत ही नहीं पड़ती है. राकेश का कहना है कि किसानों के कल्याण के लिए कृषि और बागवानी विभाग के माध्यम से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से उन्हें काफी मदद मिल रही है और अब केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना से भी उन्हें काफी प्रोत्साहन मिला है.
बदाह के साथ ही लगते गांव ब्याचक के गुप्त राम की कहानी भी कुछ-कुछ राकेश कुमार की तरह ही है. स्कूल छोड़ने के बाद रोजगार की तलाश करना गुप्त राम के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी. घर में पुश्तैनी जमीन भी बहुत कम थी. सरकार की विभिन्न योजनाओं और बाजार में नकदी फसलों के अच्छे दाम मिलने की संभावनाओं को देखते हुए गुप्त राम ने तीन वर्ष पहले बदाह के पास ही लगभग पांच बीघा जमीन ठेके पर ली और उस पर लहसुन और अन्य नकदी फसलों की खेती आरंभ की.
अपनी मेहनत के बल पर गुप्त राम आज इन खेतों में लहसुन, गोभी व अन्य नकदी फसलों के रूप में सोना उगा रहे हैं. एक सीजन में वह 20 से 25 क्विंटल तक लहसुन पैदा कर रहे हैं. अन्य बेमौसमी सब्जियों से भी उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. इस प्रकार राकेश कुमार और गुप्त राम घर में ही खेती के माध्यम से स्वरोजगार पैदा करके न केवल अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं, बल्कि अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बने हैं.
वहीं, कृषि उपनिदेशक राजपाल शर्मा का कहना है कि कुल्लू जिला में लगभग 950 हैक्टेयर भूमि में लहसुन की खेती की जाती है, जिसमें 19,680 मीट्रिक टन से अधिक की पैदावार होती है. उन्होंने बताया कि जिला में लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु है और यहां की मिट्टी भी इसके लिए अनुकूल है. किसानों को लहसुन की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे उनकी आर्थिकी को संबल मिला है.