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पुजारी कल्याण संघ की मांग, देवसदन में न हो भेदभाव - Pujari Welfare Association meeting

पुजारी कल्याण संघ (Pujari Welfare Association meeting) के जिला अध्यक्ष धनीराम चौहान ने कहा कि देव सदन देव समाज से जुड़े लोगों के लिए बनाया गया है, लेकिन वर्तमान में यहां सिर्फ प्रशासन व कारदारों का ही कब्जा है. जब पुजारी बैठक करने के लिए यहां आते हैं तो उनसे यहां बैठक करने के लिए ₹5000 चार्ज किए जाते हैं. इसी भेदभाव को लेकर 17 मार्च को पुजारी कल्याण संघ की बैठक (Pujari Welfare Association meeting ) बुलाई गई है.

Pujari Welfare Association meeting
पुजारी कल्याण संघ

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Published : Mar 14, 2022, 3:08 PM IST

कुल्लू: पुजारी कल्याण संघ के जिला अध्यक्ष धनीराम चौहान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के देव सदन में जहां बैठक के लिए कारदारों को निशुल्क व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाती है, तो वहीं पुजारी कल्याण संघ (Pujari Welfare Association meeting) को भी यह सुविधा निशुल्क देनी चाहिए, लेकिन भाषा विभाग ऐसा न कर के पुजारी कल्याण संघ के साथ भेदभाव कर रहा है. जिसे अब सहन नहीं किया जाएगा.

धनीराम चौहान ने कहा कि 17 मार्च को इसी भेदभाव को लेकर पुजारी कल्याण संघ की एक बैठक (Pujari Welfare Association meeting ) बुलाई गई है. ताकि आगामी रणनीति तैयार की जाए. उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन की दोहरी नीति को अब सहन नहीं किया जाएगा. धनीराम का कहना है कि देव सदन देव समाज से जुड़े लोगों के लिए बनाया गया है, लेकिन वर्तमान में यहां सिर्फ प्रशासन व कारदारों का ही कब्जा है. जब पुजारी बैठक करने के लिए यहां आते हैं तो उनसे यहां बैठक करने के लिए ₹5000 चार्ज किए जाते हैं. धनी राम चौहान ने प्रशासन, सरकार व भाषा विभाग से सवाल किया है कि क्या पुजारी देव समाज का हिस्सा नहीं हैं.

धनीराम चौहान का कहना है कि पुजारी के बिना देव समाज अधूरा है. क्योंकि पुजारी सुबह देवता की पूजा-अर्चना करता है और उसके बाद ही देव समाज के दिनचर्या भी शुरू होती है. पुजारियों के लिए न तो देव सदन में किसी कार्यालय की व्यवस्था है और न ही बैठक करने की इजाजत है. ऐसे में फिर देव सदन का औचित्य क्या है. धनीराम चौहान ने कहा कि पहले भी भाषा एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर से भी मुलाकात की गई थी कि उन्हें भी देव सदन में कार्यालय के लिए स्थान दिया जाए. अभी तक इसका उन्हें कोई जवाब नहीं मिल पाया है. ऐसे में मजबूरन सरकार के द्वारा संघ की बातें नहीं मानी गई तो उन्हें कोई और रास्ता तलाशना पड़ेगा.

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