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परिवहन निगम की मनमानी से यात्री परेशान, बस लेने के लिए पैदल जाना पड़ता है 2 किलोमीटर

परिवहन निगम की मनमानी के चलते औट में उतारी गई सवारियों को कुल्लू या भुंतर पहुंचने के लिये घंटों इंतजार के बाद खड़े-खड़े सफर करना पड़ता है. इतना ही नहीं पर्यटन के क्षेत्र में उभर रहे शांघड़ में आने-जाने वाले सैलानियों को भी बस के कुल्लू न जाने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Oct 31, 2019, 12:19 PM IST

परिवहन निगम की मनमानी से यात्री परेशान, बस लेने के लिए पैदल जाना पड़ता है 2 किलोमीटर

कुल्लू: परिवहन निगम की मनमानी और कुल्लू से शांघड़ चलने वाली सरकारी बसों की लेट-लतीफे से स्थानीय लोगों को भारी परेशानी हो रही है. करीब एक साल से अनियमित चल रही बसों की नियमितीकरण के लिए स्थानीय लोग विभाग से कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई न होने से लोगों में भारी नाराजगी है. इसी सिलसिले में ग्रामीणों की मांग को लेकर नायब तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है.

बता दें कि दिसंबर 2016 में कुल्लू-शांघड़ रूट शुरू किया गया था लेकिन करीब एक साल से यह बस सेवा ना तो शांघड़ में गंतव्य तक जाती है और न ही कुल्लू पहुंचती है. लोगों की सुविधा के लिए शुरू की गई यह बस अब शांघड़ के धराली स्टेशन में पहुंचने से दो किलोमीटर पहले ही रुक जाती है. साथ ही शांघड़ से कुल्लू जाने की बजाय औट में ही सवारियों को उतारा जाता है. जिसके चलते दिव्यांग बुजुर्गों, महिलाओं, स्कूली बच्चों व बीमार व्यक्तियों को जहां सुबह-शाम दो-दो किलोमीटर का पैदल सफर सिर्फ निगम की मनमर्जी के कारण तय करना पड़ता है.

वहीं कुल्लू में सीधे पहुंचने की बजाय निगम की मनमानी के चलते औट में उतारी गई सवारियों को कुल्लू या भुंतर पहुंचने के लिये घंटों इंतजार के बाद खड़े-खड़े सफर करना पड़ता है. इतना ही नहीं पर्यटन के क्षेत्र में उभर रहे शांघड़ में आने-जाने वाले सैलानियों को भी बस के कुल्लू न जाने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सैंज संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष महेश शर्मा की अध्यक्षता में सौंपे गये ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि जल्द कुल्लू शांघड़ बस सेवा को नियमित रूप से शुरू नहीं किया गया तो संघर्ष समिति सरकार व विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलेगी.

दो पंचायतों के दर्जनों गांवों मिलेगी सुविधा

शांघड़-कुल्लू रुट पर चलने बाली इस बस से शांघड़ व सुचैहण पंचायतों के धराली, गोष्टी, चमारढ़ा, पटाहरा, कटवाली, ढगाहरा, मदाना, लोहट, सुचैहण, रोपा, करटाह व मातला समेत कई गांवों की लगभग 2500 आबादी लाभान्वित होती है लेकिन बस के आधे रुट में चलने से लोग टैक्सियां चलाने के लिए मजबूर हैं. परिवहन निगम की मनमानी के चलते गरीब लोगों को आर्थिक बोझ से दबना पड़ रहा है.

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