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मानसून की आहट से सहमे कुल्लूवासी, पिछले साल प्रकृति ने बरपाया था कहर, देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट - disaster management

पिछले साल प्रकृति का तांडव कुल्लू जिला देख चुका है. इस बार प्रशासन बेहतर तैयारियों के दावे कर रहा है, लेकिन देखना होगा कि ये तैयारियां आपदा के दौरान कितनी कारगर सिद्ध होती है.

prepration of kullu administraion for monsoon season

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Published : Jun 30, 2019, 12:14 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से मानसून का सीजन दस्तक देने वाला है. ऐसे में प्रदेश के लोगों के प्रदेश के लोगों में एक बार फिर से दहशत का माहौल बना हुआ है. जिला कुल्लू के लोग भी इस बात से सहमें हुए हैं कि अगर पिछले साल सितंबर माह की तरह दोबारा प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो इससे लोगों के जानमाल को फिर से भारी नुकसान हो सकता है.


साल 2018 में हुई भारी बारिश के कारण जहां जिला कुल्लू में 200 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है. वहीं इस प्रकृति के कहर के आगे आधा दर्जन लोगों की मौत भी हुई है. ब्यास नदी व आसपास के नालों में आई भयंकर बाढ़ के चलते 2 दर्जन से अधिक लोगों को हवाई रेस्क्यू करना पड़ा. वहीं अचानक से हुई भारी बर्फबारी के चलते लाहौल स्पीति जिला में भी वायु सेना को बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ा.

स्पेशल रिपोर्ट


जिला कुल्लू में हालांकि प्रशासन मॉनसून से निपटने की तैयारी तो कर रहा है, लेकिन पिछली बरसात के जख्म भी अभी ठीक नहीं हो पाए हैं. साल 2018 में भारी बरसात के कारण ब्यास नदी में बाढ़ आ गई जिस कारण कुल्लू मनाली वाम तक सड़क मार्ग को जोड़ने वाले छरूडू में सड़क 100 मीटर तक बह गई. सड़क के बह जाने के कारण वाम तट सड़क मार्ग पर 1 सप्ताह तक वाहनों की आवाजाही बंद रही.वहीं ब्यास का जलस्तर बढ़ने के कारण पानी सड़कों पर बहने लगा. सड़क पर पानी बहने के कारण कुल्लू मनाली सड़क मार्ग भी करीब 3 दिनों तक वाहनों की आवाजाही के लिए बंद रही.


छरूडू में जो सड़क बह गई थी उसे थोड़ी मिट्टी डालकर चलने योग्य तो बना दिया गया, लेकिन अभी भी वहां से भूस्खलन होने का खतरा बना हुआ है. लोग अपनी जान पर खेलकर उस सड़क को पार कर रहे हैं. भूस्खलन के चलते सरवरी में भूतनाथ ब्रिज को भी नुकसान हुआ और उसे भी अब वाहनों की आवाजाही के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. हालांकि उस भयंकर बाढ़ से नसीहत लेते हुए जिला प्रशासन ने अगले मानसून सीजन में व्यापक प्रबंध करने की बात कही थी, लेकिन अभी भी बजौरा से लेकर मनाली तक व्यास नदी की ओर जाने वाले किनारे खुले पड़े हुए हैं. ऐसे में आए दिन सैलानी भी ब्यास की धारा में मजे लेने के लिए जा रहे हैं. अगर अचानक ही पहाड़ों पर बारिश होती है तो ऐसे में व्यास नदी का पानी पर्यटकों की जिंदगी के लिए भी खतरा बन सकता है.


जिला कुल्लू में अब कुछ ही दिनों में सब्जियों व फलों का सीजन शुरू होने वाला है. ऐसे में जिला कुल्लू की लगघाटी, खराहल घाटी, बंजार, मणिकरण, सैंज व आनी के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की स्थिति भी ठीक नहीं है. कहीं जगह तीखे मोड़ है तो कहीं ऐसी जगह है जहां थोड़ी सी बारिश होते ही पहाड़ी से भूस्खलन होना शुरू हो जाता है.


वहीं जिला कुल्लू में इन दिनों फोरलेन का कार्य जोरों पर चल रहा है. कई जगह पर पहाड़ों की कटिंग बिल्कुल सीधी की गई है जिससे भी भूस्खलन होने का खतरा बना हुआ है. सीधी कटिंग के कारण आए दिन सड़कों पर पहाड़ी से पत्थर गिरने का सिलसिला भी जारी है जिस कारण कई लोग अभी तक अपनी जान भी गवां चुके हैं. बरसात के मौसम में पहाड़ी की कटिंग गलत तरीके से होने के कारण पत्थर व मिट्टी गिरने का अंदेशा बना हुआ है. थोड़ी सी बारिश के शुरू होते ही पहाड़ी से पत्थर गिरने शुरू हो जाते हैं जिससे कुल्लू मनाली सड़क मार्ग भी कई बार वाहनों की आवाजाही के लिए बाधित रहता है.


साल 2018 में सितंबर माह में हुई भारी बारिश के कारण कुल्लू ट्रक यूनियन में खड़े दो ट्रक, 2 कार पर एक मोटरसाइकिल बह गई थी. वही मनाली वोल्वो बस स्टैंड का हिस्सा नदी में रहने के चलते एक वोल्वो बस भी पानी में बह गई. ट्रक यूनियन कुल्लू को रामशिला में दी गई सारी जगह भी इस बाढ़ में बह गई. वहीं मणिकर्ण घाटी में भी दो युवक स्कूटी संग पार्वती नदी में जा गिरे थे. बंजार घाटी में एक मकान की दीवार गिरने से एक महिला की मौत हो गई थी, वही बजौरा में भी एक किशोरी व्यास की धारा में बह गई थी बारिश के मौसम में 100 करोड़ से अधिक का नुकसान लोक निर्माण विभाग व आईपीएच विभाग को उठाना पड़ा. भारी बारिश व नालों के उफान के चलते जगह-जगह सड़कें उखड़ गई और सिंचाई योजनाएं भी ध्वस्त हो गई थी.

वही, डीसी कुल्लू ऋचा वर्मा का कहना है कि मॉनसून की तैयारी को लेकर जिला भर के अधिकारियों संग बैठक आयोजित कर ली गई है. अधिकारियों को मॉनसून से निपटने के बारे में तैयार रहने के निर्देश भी दिए गए हैं. वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वह बंद पड़ी नालियों और नालों को खोलने का कार्य जल्द पूरा करें ताकि बरसात के पानी से वह अवरुद्ध ना हो सके. वही एक स्पेशल टीम का भी गठन किया गया है जो भूस्खलन व बाढ़ आदि आने की स्थिति में तुरंत राहत कार्यों को अंजाम देगी.

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