कुल्लू: देश को जल्द ही गर्व का एक और अवसर मिलने जा रहा है. बहुप्रतीक्षित अटल सुरंग ने अंतिम रूप ले लिया है. अगले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे.
हिमालय की पीर-पंजाल रेंज में 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर निर्मित यह विश्व की सबसे लंबी और अत्याधुनिक ट्रैफिक टनल होगी. लेह-मनाली को जोड़ने वाली इस सुरंग का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में अटल रोहतांग सुरंग (अटल टनल) रखा गया है.
सुरंग के ठीक ऊपर स्थित सेरी नदी के पानी के रिसाव के कारण 4000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के निर्माण में लगभग पांच साल की देरी हुई, लेकिन देर आये-दुरुस्त आये की तर्ज पर अब यह नायाब नगीना देश के मुकुट की शोभा बनने जा रहा है.
बीआरओ के जिम्मे था सुरंग का निर्माण
8.8 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के जिम्मे था. इसके शुरू हो जाने से अब सभी मौसमों में लाहौल और स्पीति घाटी के सुदूर क्षेत्रों में संपर्क बना रहेगा. सुरंग बाहर से जितनी मजबूत है, अंदर से उतनी ही सुरक्षित और सुविधाजनक भी है. अंदर निश्चित अंतराल पर सीसीटीवी कैमरे, लाइट सेविंग सेंसर सिस्टम, प्रदूषण प्रबंधन के लिए सेंसर सिस्टम, ऑक्सीजन लेवल को स्थिर रखने के लिए दोनों छोर पर हाई-कैपेसिटी विंड टरबाइन सिस्टम स्थापित किए गए हैं.
इस सुरंग में निश्चित अंतराल पर अग्निशमन यंत्र और कम्युनिकेटर लगाए गए हैं. किसी दुर्घटना की स्थिति में सुरंग में वाहनों का प्रवेश बंद कर आग पर तुरंत काबू पाया जा सकेगा. आग या किसी अन्य कारण से सुरंग में बाधा पड़ने की स्थिति में मुख्य फ्लोर (सड़क) के नीचे एक वैकल्पिक सुरंग भी बनाई गई है, जो मुख्य सुरंग की तरह ही 8.8 किलोमीटर लंबी है. बचाव सुरंग तक पहुंचने के लिए मुख्य सुरंग में कई रास्ते बनाए गए हैं.
सुरंग का लाइट सिस्टम इस तरह से है कि वाहन के एक निश्चित दूरी पर आते ही लाइट खुद जलती चलेंगी और गुजरते ही बंद हो जाएंगी. सुरंग से बाहर निकलते ही नॉर्थ पोर्टल में बौद्ध शैली के स्वागत द्वार के बाद चंद्रा नदी पर बने पुल को पार करते ही सड़क पुराने मनाली-लेह मार्ग से जुड़ जाएगी.