हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

कुल्लू में बर्फबारी के बीच भटक रहा बेसहारा गोवंश, फाइलों में दबी गोसदन बनाने की घोषणा - कुल्लू में बेसहारा पशुओं की संख्या

आंकड़े बताते हैं कि कुल्लू जिला में बेसहारा गोवंश की संख्या छह हजार के पार पहुंच चुकी है. बंजार, दलाश, कुल्लू, गड़सा, सैंज, पतलीकूहल, निरमंड सहित कई कस्बों और गांव में गोवंश लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है.

कुल्लू में बेसहारा पशुओं की समस्या की न्यूज, destitute animals in Kullu news
कुल्लू में बर्फबारी के बीच ठंड में भटक रहे बेसहारा गोवंश

By

Published : Dec 14, 2019, 11:45 AM IST

कुल्लू:जिला कुल्लू में बेसहारा पशुओं के लिए पंचायत स्तर पर गोसदन बनाने की घोषणा फाइलों में दबकर रह गई है. भारी बारिश और बर्फबारी के बीच सड़कों पर घूम रहे पशुओं की हालत खराब हो रही है, लेकिन प्रशासन और सरकार इनकी सुध नहीं ले रही है. किसान-बागवान इनकी बढ़ती संख्या से परेशान हैं.

मनाली, कुल्लू, बंजार, आनी और निरमंड विकास खंड में साल में सैकड़ों बेसहारा पशु ठंड और अन्य कारणों से सड़कों पर बेमौत मर रहे हैं. जिला में इस समय चार सरकारी गोसदन सहित करीब दस गोसदन चल रहे हैं. साढ़े 1300 क्षमता वाले इन गोसदनों में 1400 बेसहारा पशु रह रहे हैं, लेकिन यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है.

आंकड़े बताते हैं कि जिला में बेसहारा गोवंश की संख्या छह हजार के पार पहुंच चुकी है. बंजार, दलाश, कुल्लू, गड़सा, सैंज, पतलीकूहल, निरमंड सहित कई कस्बों और गांव में गोवंश लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है. इन पशुओं की बढ़ती संख्या और किसानों की फसलों को हो रहे नुकसान पर हाईकोर्ट ने भी कड़ा संज्ञान लिया था. कोर्ट ने वर्ष 2015 में प्रत्येक पंचायत में गोसदन खोलने के लिए प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे जिस पर काम भी शुरू हुआ, लेकिन बजट के अभाव और अन्य खामियों के चलते योजना सिरे नहीं चढ़ पाई.

वीडियो.

कुल्लू जिला में कुल 204 पंचायतें हैं. चनौन पंचायत में एक गोसदन बना है, लेकिन इस गोसदन में एक भी पशु को नहीं रखा गया है. ग्रामीणों का कहना है कि सड़कों के किनारे बेसहारा पशुओं की भरमार है. बीती सर्दी में कई पशु ठंड से मर चुके हैं. इस बार भी इन पर मौसम की मार पड़ रही है. वहीं, जिला पशुपालन विभाग के उप निदेशक संजीव नड्डा का कहना है कि जिले में पंजीकृत चार गोशाला हैं, जबकि कुछ अपंजीकृत गोशाला भी चल रही हैं. राज्य कल्याण बोर्ड, स्पर्श योजना और सीएसआर से 2017 से अब तक साढे़ 23 लाख रुपये खर्च जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें- सिंगल यूज प्लास्टिक : उपयोग बंद करने की मिसाल है राजस्थान का यह गांव, देखें वीडियो

ABOUT THE AUTHOR

...view details